धर्म क्या है? | अंकित पौरुष की कविता | अंकित पौरुष शो कृपया हमें सब्सक्राइब करें –

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धर्म और रिलीजन में मुझे बहुत बड़ा अंतर नजर आता है,
मेरे दृष्टिकोण से रिलीजन का अर्थ ,
धर्म को दूर दूर तक न छू पाता है।

रिलीजन का अर्थ सम्प्रदाय या कोई आस्था का अनुसरण करना,
धर्म का एक अर्थ मानवता का अनुसरण करना।

धर्म का अर्थ इतना आसान नहीं,
भाषाओं का भाषांतर करना भी आसान नहीं,
यह परिवर्तन भी जरूरी है, नहीं तो आदान प्रदान नहीं।

धर्म का अंग्रेजी अर्थ कुछ कुछ मुझे विजडम जैसा लगता है,
जो सही गलत का भेद रखता है।

हर शब्द का प्रयावाची, दूसरी भाषा में उपलब्ध नहीं,
हर किसी का महत्व है, कोई किसी से कम नहीं।

धर्म वो है जो श्री कृष्ण ने दिया,
इसलिए महाभारत के युद्ध को धर्म युद्ध का नाम दिया।
महाभारत युद्ध में , भाई बंधु , समान मजहब के , एक दूसरे के विरोध में खड़े हो गए,
अगर युद्ध मजहब के आधार पर होता तो क्या महाभारत का युद्ध धर्म युद्ध होता?

धर्म वो है जो कर्म भगवान राम ने किया,
इसलिए उनको मर्यादा पुरुषोत्तम नाम दिया।

धर्म वो है जिसका मार्ग दर्शन गौतम बुद्ध ने दिया,
अपो दीपो भव जिसका नाम दिया।

धर्म वो है जो जीसस क्राइस्ट ने दिया,
सूली पर लटककर भी प्रेम, सेवा अहिंसा का प्रमाण दिया।

धर्म वो है जो गुरु नानक ने दिया,
सभी मनुष्य एक ही हैं , न कोई हिन्दू और न कोई मुसलमान,
सभी एक समान।

धर्म वो है जिस रास्ते पर सच्चे संत, पैगंबर आदि चलते हैं,
या फिर यह बोल दो, जिस रास्ते पर वो चलते हैं,
वो रास्ता धर्म बन जाता है।

धर्म वो है जो चेतना का बोध कराता है,
इंसान में प्रेम, करुणा, सेवा, त्याग आदि लाता है।

अगर मेरी समझ ठीक है,
तो धर्म के नाम पर इतने परिवर्तन क्यू,
धर्म के नाम पर ये अधर्म क्यू।

अधर्म नाम से जहन में दुराचार, अत्याचार, अपराध आदि नजर आता है,
अधर्म का विपरीत धर्म जो सदाचार जैसी सुगंध लाता है।

धर्म नास्तिकता आस्तिकता से भी परे है,
रावण आस्तिक था इसका मतलब ये नहीं धार्मिक था,
अगर धार्मिक होता तो आज भी दशहरा पर फूका न जाता,
क्या कोई अपने घर में रावण जैसा विद्वान चाहता?

धरती, आकाश, जल, वायु, अग्नि इन सब का धर्म जीवन देना है,
इस वाक्य में धर्म ही कर्म है,
हमारा धर्म क्या है?
हमारा कर्म क्या है?
या फिर सब माया है।

By The Ankit Paurush Show

Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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