द अंकित पौरुष शो – स्त्री | महिला | हिंदी शायरी अंकित पौरुष द्वारा कृपया हमें सब्सक्राइब करें – https://bit.ly/3ynybJR Connect us – https://www.facebook.com/ankitsinghss https://www.instagram.com/ankitpaurush Poemybyankitpaurush #hindikavita #hindipoetry #urdupoetry #urdupoem #kakahathrasi #hathras #shayari Video Edited By : https://instagram.com/enoough?igshid=ZGUzMzM3NWJiOQ== Marketing By : https://theorganicmarketing.com/ सृजन कि रचना में, दोनों का योगदान है, जितना पुरुष प्रधान, उतना ही स्त्री प्रधान है, दोनो अपनी जगह महान हैं। पर त्याग स्त्री का ज्यादा है, तुम अपना परिवार बनाते हो, वो तुम्हारे परिवार को अपना बनाता है, तुम अपना कुल मिलाकर देखते हैं, वो दृष्टि कुल देखते हैं, घन त्याग तुम तक सीमित है, उसका त्याग तुम तक सीमित है। पर महिलाओं को कितनी लड़ाई होगी, इस समाज की सीमित क्षमताओं से, पहली लड़ाई कोख से ही चालू हो जाती है, कुंचित चेतना के कारण जन्म से पहला गर्भपात हो जाता है। समाज थोड़ा सा गलत हो रहा है, महिला पुरुष की एक-दूसरे से ज्यादा इंसान समझ रहा है, पर फिर भी पूरी वजह बाकी है, बाकी सब इंसान का पूरा इंसान बनना है। कुछ ऐसे परिवार मैंने देखे हैं, मेरे लड़कों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाया जाता है, लड़कियों को सरकारी शिक्षा ने सींक, सटीक भेद भाव क्यू, शारीरिक अंतर सही, मानसिक अंतर क्यों। उम्र मिलती-जुलती मासिक धर्म है कोई अपराध नहीं, सृष्टि की रचना का यूं तिस्कार नहीं। कुछ परिवार ने समाज को मार्ग दर्शन दिखाया, बेटी को पढ़ाया लिखाया साकार बनाया, अब बेटी अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती है, वो भी नौकरी करना चाहते हैं, कुछ कुंचित समाज की तरह ब्रेक हो जाते हैं, अनैच्छिक भावनाओं के कारण प्रतिभाओं के सपने टूट जाते हैं। फिर अलविदा करने की घड़ी आ गई, एक परिवार छोड़कर दूसरा परिवार बनाने आ गई, परिवार बनाने के लिए फिर सपनो को तोड़ दिया, जिस घर में पैदा हुई उस घर को छोड़ दिया। समाज कुछ त्याग तुम भी कर दो, उसकी उमंगों को जीवन में भर दो, तुम जैसे वो भी समाज का हिस्सा है, तुम समाज हो वो समाज का श्रोत है, समाज गंगा है, तो महिला गंगोत्री, समाज जमुना है, तो स्त्री जमुनोत्री, श्रोत का सम्मान करो, हर उमंगों को न ना करो। हां है तो तुम्हारा, पर हमेशा ना ठीक नहीं, उमंगों की सात्विकता को पहचानो, सात्विक को न मारो। अंकित पौरुष
Nice ankit ji a good glace of feminine problem…..god bless you
Bahatreen bhaiya 🎉🎉🎉🎉 0:51
Ati sundar !!
Bahut khoobsurat kavita 👍👍👍👍👍
Nice bro..
Bahut khoob !!
Sundar ❤
Waah bahut acha hai
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