मैं इंसान हूं by Ankit Paurush
A short poem about human being vs religion.I feel if we are good human being then the path we follow will be religion only.
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो,
मेरे कोमल हृदय को तुम यूं न टटोलो,
वहां भी तुम्हें एक इंसान नज़र आएगा,
जो इसांनियत के ही गीत गुनगुनाएगा .
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।
मात बांधो मुझे इस धर्म के जंजाल में,
मेरे अंदर तुम्हें एक धर्म नज़र आएगा .
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोल।
बुद्धा कृष्णा कबीर भी मैं हूं ,
राम रहीम और फ़क़ीर भी मैं हूं ,
बजाओ फ़कीर उसमें भी मजा आ जायेगा ,
लुटा दो मोहब्बत की दौलत, इंसां आमिर बन जायेगा।
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।
मेरे अल्ला, मेरे मौला, मेरे राम, मेरे घनश्याम,
मेरे इशू, मेरे नानक, कर मोहब्बतों के इबादत,
मिला दे इंसान को इंसान से इंसान इंसान तो बनजायेगा
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।
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source
Waah🥰
Crediable 👍👍👍✍✍✍
Beauuuuuuuuuuutiful 👏👏👏
Namaskar Ankit ji. Main aapki saari videos follow karta hun. Aapki likhi kavitayein bahut prerit karti hain.
Mai insaan hu…mujhe taraju me na taulo
Definitely true lines .. first we should be human …
Very true, hum bhool hi gaye hain insaan banna
❤️
'Me insan hu' Very Very awesome lines
Bahut sunder kavita 🙏🏻🙏🏻💐💐
Jai shree kirshana respected sir🙏🏻🙏🏻💐💐💐💐🙏🏻