Chaddaji की फट गई चड्डी,
फिर भी बदला न करते थे,
एक चड्डी में जीवन कट जाए,
ऐसी इच्छा वो करते थे।
पोस्टर, बैनर जो मिल जाता,
वो कच्छा बंजता था,
दर्जी भी कच्छा सिलकर,
हक्का बक्का रह जाता था।

जब भी मिठाई खाने जाते थे,
एक कोने में खड़े हो जाते थे,
सोचते थे कोई देख न ले,
एक दो खाकर कम कर न दे,
एक बार एक महोदय आ गया,
चद्दाजी को गुस्सा आ गया,
अब इसको कैसे चुप करवाऊं,
मैं कैसे रफू चक्कर हो जाऊं।

गरीबी से दूर दूर तक का नाता न था,
रहीस सेठों में नाम, पर खर्च करना आता ना था,
दिल के गरीब, जेब के अमीर,
ऐसे थे हमारे चद्दाजी,
बच्चे पापा से कहते इतने पैसे का क्या करोगे,
एक कच्छा सिलवा न पाओ,
कुछ पैसे हमको दे जाओ।

जब भी दावत में जाते थे
बहुत खुश हो जाते थे,
चड्डी बनियान के ऊपर,
कुर्ता पजामा चढ़ाते थे,
जब दावत चालू हो जाती थी,
चड्डाजी कि उम्मीदें आसमान छू जाती थी,
कटेमा दही, चुचेमा पूरी के ऊपर,
टूट कर पढ़ जाते थे,
सन्नाटा पीकर हाजमा बड़ाकर,
मिठाई का लुत्फ उठाते थे,
चद्दाजी दावत खाकर,
जगन मगन हो जाते थे।

चड्डाजी की फट गई चड्डी,
फिर भी बदला न करते थे।

एक दिन चद्दाजी निपट गए,
दोल्लत से भरे घड़े,
छोड़ कर चले गए,
चद्दाजी निपट गए।
आज भी चद्दाजी कि चड्डी,
कंजूसी की पराकाष्ठा एक बात याद दिलाती है,
दौलत हर किसी के नसीब में न आती है,
और जिंदगी जीनी की कला भी,
हर किसी को न आती है ।

#urdupoetry #ankitpaurush #theankitpaurushshow #hindipoetry #urdupoems #hindipoems#comedy #hindicomedy #hindicomedyvideo

source

By The Ankit Paurush Show

Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed