मुझे क्या | Poetry By Ankit Paurush | The Ankit Paurush Show
कोई लड़ता है, लड़ने दो, मुझे क्या,
कोई मरता है, मरने दो, मुझे क्या,
अभी अभी एक बाप, बेटे को दफन कर के आया है,
वो बूढ़ा है, टूट चुका है, पर मुझे क्या।
किसी के घर अंधियारा है,
पर मेरे घर तो प्रकाश है, तो मुझे क्या,
कोई टूटा हुआ रोता है,
कोई भूखा सोता है,
पर मेरा पास तो रोटी है तो मुझे क्या।
मैं अपने मस्ती में मस्त हूं,
कोई जिए तो मुझे क्या,
कोई मेरे तो मुझे क्या,
कोई फरियाद करता है,
कोई मुझे याद करता है,
पर मुझे क्या।
चल साथ मिलकर कुछ करते हैं,
एक दूसरा का हाथ पकड़ते हैं,
कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं,
एक दूसरा का सहारा बनते हैं,
पर मुझे क्या।
ये दुनिया फायदा नुकसान पर चलती है,
भावनाओ की जगह न बचती है,
इसमें मेरा क्या फायदा है,
तेरे फायदे से मुझे क्या,
कायदे से मुझे क्या,
कोई मरता है मरने दो,
कोई लड़ता है लड़ने दो,
मुझे क्या , मुझे क्या ,मुझे क्या।
चल साथ मिलकर तरक्की करें,
सुख दुख के साथी बनेगा,
एक दूसरे को बढ़ आयेंगे,
गिरते हुए को उठाएंगे,
इसमें मुझे क्या फायदा,
तो मुझे क्या।
एक दिन अचानक ऐसा हो गया,
तू अकेला हो गया,
तू गम में खो गया,
तू मिलना लोगों से चाहता है,
तेरे पास अब कोई न आता है,
सारी दुनिया तुझे मतलबी कहती है,
तेरे पास भी रोटी है,
पर साथ कोई न आना चाहता है,
तुझे गले न कोई लगाना चाहता है,
तू कहता दुनिया मतलबी है,
क्या तू कहता सही है,
जो बोया वो तू पाएगा,
यहां का हिसाब यहीं दे जायेगा,
अब लोग कहता हैं तुझे देखकर,
मुझे क्या, मुझे क्या, मुझे क्या।