HINDU

सभी देवी देवताओं को प्रणाम करना , पत्थर हवा अग्नि जल और वायु या फिर इस ब्रह्माण्ड में सबको भगवान मानना हिंदुत्व की नीव है
कोई भगवान नहीं है, और उसी समय जब आप कहते हैं कि हर जगह भगवान है, तो बात दोनों ही सही है क्योंकि आप स्वयम ही भगवान् है लेकिन आपको इसका बोध नही बोध होना आपको बुध की और ले जाता है और अबोध कहता कोइ भगवान् ही नही, हम बहुत उदार लोग हैं,

Hindu धर्म में “कट्टर हिंदू” की कोई अवधारणा नहीं है, हिंदू धर्म का अर्थ है स्वतंत्रता, उसकी पसंद की पसंद और नापसंद, हिंदू धर्म हमें प्यार के बारे में सिखाता है।

हिंदू धर्म में हम दुनिया के सभी धर्मों को स्वीकार करते हैं, हिंदू धर्म मुझे यह कहना नही सिखाता है की गर्व से कहो हम हिन्दू है, बल्कि प्यार से कहो मै हिन्दू हु क्योंकि आपका गौरव किसी के लिए अपमान का विषय भी तो बन सकता है।

आप खुद को महान कह रहें हो और जैसे ही आप खुद को महान या खुद पर गौरवान्वित होते हैं. आपके अंदर एक घमंड का भाव जगता है जो की हिन्दू धर्म के लिबर्टी वाले कांसेप्ट को धूमिल कर देता है।

हिन्दू धर्म अपने आप में इतना विशाल और ब्रॉड है जिसकी आप कल्पना भी नही कर सकते, सनातन जो सदा के लिए हैं , अब आप ही जड़ा सोच कर देखिये जो सबको खुद में समाहित कर ले क्या वो खत्म हो सकता है ?

मेरे ख्याल से कभी भी नही, फिर कौन तुमको डरता है ? कौन तुमको कहता है हिन्दू खतर में है ? , वास्तव में भैया ख़तरा कही भी नही , बस आपकी सोच में है , एक सजर काटने से कोई फर्क नही पड़ता समंदर से एक आध लोटा पानी निकल ही गया तो क्या हुआ ?

इफ्तियारी करवाना या फिर किसी और धर्म के लोगो के प्रति सम्मान का भाव रखना भी हमें हिंदुत्व ही सिखलाता है। मगर कुछ लोग इसकी आर लेकर आपको और हमको ठगते भी है , उसके घर में बिजली नही उसके कौम से गरीबी मीटी नही और तुम उसको दावत दे रहें हो ? मोहब्बत जनता करती है आपस में कुछ ऐसा कर दो ना की हर हिन्दू मुश्लिम के गले लग जाए , जब निजाम मोहब्बत करे तो अक्सर झूठी ही होती है, निजाम की मोहब्बत घर में बुलाकर हो रही है।

कभी गरीब के बस्ती में जाओ किसी दिन के घर में रात बिताओ सहजादे बनकर अपनी अमीरी न दिखाओ, ईमान और सरिय्त हमने भी पढ़ा है एक हाँथ से अगर नेकी करो तो दुसरे को पता भी न चलने दो , एक बात ठंढे दिमाग से सोचियेगा जिन लोगो को इफ्तियारी मिली वो तो खुस है लेकिन जिनको नही मिली ? मै किसी सरकार या राजनितिक पार्टी को दोष नही दे रहा की आपने तो दरवाजे किसी के लिए बंद नही किये थे या फिर .. ठीक बात है मगर जो देश के सुदूर इलाको में रहते हैं जिनके पास हुजुर तक पहुचने का किराया भी नही है वो क्या करे ?

उनको किराया कौन देगा ? अभी कल की ही बात है एक मुश्लिम दोस्त से बात की हम बोले क्या जी “इफ्तियार में नही गये? हमको भी ले चलते उसने कहा की भाईजान अब इतना दूर है पटना हम कैसे जाए ?” हम उसको बोले की “होना तो ये चाहिए की निजाम को गरीबो के बस्ती तक जाकर दावत देनी चाहिए”

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यहाँ करवाइए पुरे राज्य में करवाइए हर जिले में करवाइए मगर इतनी बड़ी भी तो झोली नही निजाम की ! जो चीज आप प्रत्येक व्यक्ति तक नही पंहुचा सकते उसका ढिंढोरा पीटना ही तुष्टिकरण है। जैसे की दिल्ली के निजाम भी करते है अब दिल्ली के निजाम में दो निजाम है एक केंद्र वाली एक राज्य वाली तो इस बार दोनों ही, अभी हमारे उप मुख्यमंत्री श्री तेजश्वी यादव की उम्र ही कितनी है।

हम से भी तो छोटे है. और गुरबत देखि ही नही। लेकिन सिख जायेंगे और नही सीखेंगे तो फिर कुछ कह नही सकते, हो सकता है वो इन तथ्यों से अनजान हो ! मगर जो भी है आप आग में जान बुझ कर कूदिये या फिर अनजाने में हाँथ तो जल ही जाएगा जड़ा हाँथ बचा कर रखियेगा हुजूरे आला।

बहरहाल हम मुद्दे पर लौटते हैं तो हिन्दू नफरत करना नही सिखाता हिन्दू सिर्फ प्रेम का सन्देश देता है. हिन्दू राष्ट्र बनाने की कोई जरूरत नही है क्योंकि हिन्दू राष्ट्र तो है ही भारत।

जहाँ पर भी सेकुलरिज्म का सिद्धांत काम करता है वो हिन्दू राष्ट्र है। कुछ लोग है जो बेवजह प्रलाप करते हैं ये बानाएंगे वो बनायेंगे क्या बनायेंगे ? नफरत की दवा बांटना तुमको किन संस्कारों ने सिखा दिया ? हमारे दोस्त जो उस तरफ के हैं वो मंदिर भी चले आते हैं और हमारे साथ खाना भी खा लेते है। वो भी एक ही थाली में, होली दिवाली ईद रमजान सब की बधाई देते हैं। और कभी हम भूल गये तो ताना भी देते हैं।

ये मोहब्बत का मुल्क है. हिन्दुस्तान जहां पर अलाह और राम एक ही थाली में खाते हैं। मेरा हिंदुत्व तो कुछ ऐसा ही है.
हम प्यार से कहते है हिन्दू है, हम मोहब्बत से कहते हैं हिन्दू है, मेरे अजीज मुस्लिम मित्रो को रमजान की ढेरो शुभकानाए ,

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अब मेरे कृष्ण ने मुझे सबसे मोहब्बत करना सिखा दिया तो समझ लीजिये की दोषी मै नही कृष्ण ही होगा क्योंकि मै अपने कर्मो का बोझ उसी पर लाद देता हु, बुरा है तो तू ही देख भला है तो तू ही देख.

कोई गाली दे रहा है तो वो भी तेरा कोई ताली बजा रहा है तो वो तेरा, मेरा है ही क्या ? जो अभिमान करूँ ! न कुछ लेना है न देना है सब पाप तुम्हारे सब पुन्य भी तुम्हारे अपनी बातों को जुबैर अली ताबिश के एक कलाम से खत्म करना चाहूँगा।

अब यहाँ पर देखिये हिन्दुस्तान की खूबसूरती एक हिन्दू व्यक्ति मुसलमानों के अशाएरे को कोट करता दिख रहा है तो कहते हैं,

निकलकर मुझसे मुझको ,

हर तरफ से घेरता है वो,

की मै मरकज हु उसका और मेरा दायरा है वो ,

मै अपने जिस्मो जा मे बस उसे महसूस करता हु,

मुझे तो शक है अपने आप पर ये मै हु . या है वो !

धनयवाद

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