भूपेन्द्र भारतीय की समीक्षा
बिबेक देबरॉय द्वारा अंग्रेजी में लिखी The Bhagavad Gita for Millennials श्रीमद्भगवद्गीता पर अच्छी व पठनीय किताब है। खासकर यह किताब अंग्रेज़ी पाठकों के लिए महत्वपूर्ण है जो श्रीमद्भगवद्गीता को पढ़ने की इच्छा रखते है व पहली बार पढ़ रहे हैं। या श्रीमद् भगवद्गीता को गहराई से जानना चाहता है।
इसकी प्रस्तावना तो वैसे संक्षिप्त ही है लेकिन इसमें विभिन्न भगवद्गीता के बारे में विस्तार से दिया है साथ ही कितने प्रकार की श्रीमद् भगवद्गीता है उसपर भी एक लंबी सूची दी गई है। जो कि इस विषय में शोधपूर्ण है। यहां उस गीतापाठी के लिए भी जानना रोचक है कि श्रीमद् भगवद्गीता के इतने प्रकार भी होते हैं। दस भागों में लेखक ने यह किताब लिखी है। जिसमें मुख्यतः संस्कृत भाषा के महत्व से लेकर भगवद्गीता के अनेक श्लोकों के माध्यम से इस महान ग्रंथ जो की श्रीहरि के मुखारबिंद से कहें गए शब्दों के महत्व को रेखांकित किया है। श्रीमद् भगवद्गीता के सात सौ श्लोकों मे से करीब करीब दो सो श्लोकों को इस किताब में लेखक ने भगवद्गीता के दर्शन व विचारों को समझाने के लिए यहां साझा किए हैं।
लेखक ने प्रथम अध्याय में ही कह दिया है कि यदि भगवद्गीता को अच्छे से समझना व आत्मसात करना है तो मूलतः इसे संस्कृत में ही पढ़े। साथ ही हो सके तो महाभारत भी अच्छे से पढ़े। भगवतगीता के गुढ़ रहस्य को जानने के लिए हमें महाभारत का पाठ भी करना चाहिए ऐसा लेखक का मत है। दूसरे अध्याय में संस्कृत के महत्व पर चर्चा की है साथ ही संस्कृत भाषा को सिखने व पढ़ने के लिए कुछ अच्छे तरीकें भी लेखक ने अपनी इस किताब के माध्यम से बताये है। अध्याय तीन में भगवान श्रीकृष्ण पर बातें की गई है। उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही भगवान कृष्ण को जानने के लिए विभिन्न स्त्रोतों व ग्रंथों की लंबी सूची इस पाठ में दी गई है। सही भी है कि जो व्यक्ति श्रीमद् भगवद्गीता कह रहे हैं उन्हें भी हमे जानने व समझने का प्रयास करना चाहिए।
चौथे अध्याय में श्रीमद् भगवतगीता के अठारह अध्यायों पर संक्षिप्त मे बाते कही गई है। साथ ही किस अध्याय में किस विषय पर चर्चा की गई है यह भी इस पाठ मे लेखक ने अच्छे से बताया है। लेखक यही बता देते हैं कि भगवद्गीता मे मुख्यतः ज्ञानी होने व ज्ञान प्राप्त करने पर बल दिया गया है। जैसा कि श्रीमद् भगवतगीता के अध्याय चार के ४.३३ श्लोक में ज्ञान को ही श्रेष्ठ माना गया है।
वहीं अध्याय पाँच मे लेखक ने इस किताब में स्मृति व श्रुति के महत्व पर प्रकाश डाला है। साथ ही भगवद्गीता का हमारे व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है इसपर भी अच्छे से श्लोकों के माध्यम से समझाया है। अध्याय छः मे मानव की स्वंय की खोज की जिज्ञासा को शांत करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तथ्य यहां दिए हैं। कुछ रोचक कहानियां के माध्यम से भी श्रीमद् भगवद्गीता की सरल व्यख्या की गई है। व्यक्ति कौन है ? मैं कौन हूँ ? ऐसी ही बातों को स्पष्ट किया है।
आगे लेखक इसी किताब में लेखक माया से कैसे बचा जाये और किस तरह से मानव स्वंय पर नियत्रंण कर सकता है यह यहां श्रीमद् भगवद्गीता के श्लोकों के माध्यम से बताया है। आनंद की प्राप्ति सिर्फ़ धन नहीं ज्ञान व जागृति है ऐसे ही अन्य कहानियां व विभिन्न भगवद्गीता के श्लोकों के माध्यम से बताया है। वही जीवात्मा व परात्मा मे क्या संबंध है यह आगे के अध्याय में लेखक रोचक ढंग से बताते हैं। साधारण व्यक्ति भी गीताजी मे बताये मार्ग पर चलकर श्रेष्ठ बन सकता है। किताब अधिकांश जगह भगवद्गीता के महत्व को ही रेखांकित करती हैं। वहीं इस बात पर जोर दिया गया है कि श्रीमद् भगवद्गीता का पाठ संस्कृत में ही से करे तो उपयोगी व सही होगा।
नौवें अध्याय में जन्म, मृत्यु, संसार व कर्म पर श्रीमद् भगवद्गीता मे क्या कहाँ गया है उसको इस अध्याय में विभिन्न श्लोकों के माध्यम से बताया है। अध्याय २, ४,६ के कुछ श्लोकों से इन विषयों के महत्वपूर्ण रहस्यों को समझाने का अच्छा प्रयास है। वहीं अंतिम अध्याय में लेखक अंहकार व भक्ति पर बात करते हैं। भक्ति को स्वंय भगवान ने श्रेष्ठ माना है। किताब ज्ञान को ही कई जगह प्रधानता देती है जो कि पठनीय है।
अंततः यह किताब श्रीमद् भगवद्गीता पर पठनीय है। खासकर अंग्रेजी पाठकों के लिए। मेरे जैसे हिन्दी लेखक के लिए भी इसमें कुछ नया जरूर था। कुछ श्लोकों को रोचक कहानियों के माध्यम से समझा। अंग्रेजी पढ़ने व समझने वाले युवा पाठक इस किताब को जरूर पढ़े। कुछ जगह लेखक भगवद्गीता के बारे में बाते करते करते लंबे निकल जाते हैं। श्रीमद्भ भगवतगीता को प्रारंभिक तौर पर जानने के लिए यह किताब ठीक है। जैसा कि लेखक स्वंय इस किताब में कहते है कि श्रीमद्भगवद्गीता को पूर्ण रूप से जानने व समझने के लिए मूल संस्कृत भाषा में ही पढ़े व अन्य भाष्यों का भी सहारा ले।
किताब की कीमत कुछ ज्यादा है। भाषा सरल व आम पाठकों के लिए पठनीय है। बिबेक डैबरोय जी को इस महत्वपूर्ण किताब के लिए बधाई।