मंदिरों में बलि की प्रथा कानूनों और अदालत के माध्यम से हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा और कर्णाटक में प्रतिबंधित हैं। मुहम्मडेन लोगों के लिए क़ुरबानी पर भी प्रतिबन्ध है, लेकिन उस मामले में कानूनों का कितना पालन होता होगा, इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है। इस सम्बन्ध में जो प्रमुख फैसले आये हैं, उनमें से कुछ का लिंक नीचे मिल जायेगा। पशुओं पर क्रूरता के बहाने से प्रथाओं को कैसे बदला, मिटाया जा रहा है, संविधान जिस विविधता की बात करता है, उसे समाप्त करके अदालतें कैसे एकरूपता थोप रही हैं, ये इन फैसलों में देखा जा सकता है।

बलि प्रथा और पशु क्रूरता सम्बन्धी फैसले –

1. Ratilal Panachand Gandhi v. State of Bombay and Ors (1954) – https://indiankanoon.org/doc/1307370/
2. Sri Subhas Bhattacharjee vs The State Of Tripura on 27 September, 2019 – https://indiankanoon.org/doc/58095629/
3. N. Adhithayan v. Travancore Devaswom Board & Ors (2002) – https://indiankanoon.org/doc/1705114/
4. Animal Welfare Board of India v. A Nagaraja (2014) – https://indiankanoon.org/doc/39696860/

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By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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