दत्तोप ठेंगठी जी ने “समाचार पत्र प्रचार तंत्र” पर लिखा था। ये व्यवस्था काम कैसे करती है, उस विषय में समना था। मुमकिन है कि इतना भारी भरकम (35 पन्ने से भी कम की) किताब कुछ लोग पढ़ नहीं पाएंगे। क्या है कि वो “संघ” से जुड़े थे न! उनका लिखा हुआ पढ़ना तो पाप होगा? इसलिए मैंने पंचतंत्र की वो कहानी निकाली जो ऐसे ही सुन रखी होगी। जहां तक मोहन भागवत जी के बयानों का सवाल है, वो अपने बयानों की वजह से अक्सर विवादों में आते हैं। बिहार चुनाव से ठीक पहले वो नतीजे के विषय में बोलकर बीजेपी का मत-प्रतिशत कम करवाएंगे। एससीएसटी एक्ट जैसे मुद्दों पर भी उनकी राय ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है। जहां तक जाति का प्रश्न है उस पर पाठक एक किताब है “कास्ट्स ऑफ माइंड” Castes Of Mind – https://amzn.to/3XciNZn जिसमें विदेशी आक्रमण के समय भारत में इस व्यवस्था के प्रवेश के लिए जो कारणें जारी, उनकी चर्चा की गई है।
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