इन “थ्री सी” (3Cs) में से पहला “सी” है “कॉन्विंस” (कॉन्विंस) यानी विश्वास दिलाना। आप अपने उत्पाद, सेवा या विचार (उत्पाद, सेवा या विचार) को जब बेचते हैं तो अपने ग्राहक-उपभोक्ता (ग्राहक/उपभोक्ता) को विश्वास की पहचान करने की कोशिश करते हैं कि बाजार (बाजार) में उपलब्ध विकल्पों के बीच यही सबसे अच्छा है । ग्राहक या उपभोक्ता अपनी किस समस्या को व्यवस्थित करने के लिए विकल्प ढूंढता है, उनमें से वह सबसे अच्छा निर्णय लेगा। समस्या ये है कि हर बार ग्राहक आपके कहने पर ही आपकी बात मान ले, ऐसा नहीं होता। ऐसी स्थिति में दूसरा “सी” अर्थात “करप्ट” (भ्रष्ट) काम आता है। इस प्रक्रिया से आप अच्छे वाकिफ हैं, इसका उत्कोच यानी रिश्वत-घूस (रिश्वत) देकर ग्राहक को पटाया जाता है। ऐसा हो सकता है कि ये भी काम न आयें, और उस स्थिति में तीसरा “सी” यानी “कन्फ्यूज” का प्रयोग होता है। इसमें आप ग्राहक (ग्राहक) को घुमाकर निकल खाते हैं ताकि वो आप जो बेचने निकले हैं, वो न भी ले तो कम से कम किसी और का कुछ न देखें। इससे आप (लाभ) नहीं होता है, लेकिन आप अपने विचित्र (प्रतिस्पर्धी) का भी झांसा देते हैं। क्या भारत में धार्मिक रूपांतरणों पर अनैतिक बिक्री के 3सी लागू किए जा सकते हैं? धर्मांतरण में इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग कैसे किया जाता है? मीडियम पर पूरा लेख पढ़ें – https://link.medium.com/1LFXkFBvcjb
साहेब विडियो का लाइट सही कीजिये और telepromptor के इस्तेमाल को सही तरीके से कीजये जिससे लगे की आप दर्शको से बात कर रहे हैं SEO भी नही किया गया है content उम्दा है मगर बाद बांकी पर काम करने की जरूरत है
आनन्द जी अपनी शैली में इसे लिखकर भी पोस्ट करे।