1958 का “चार कीट अभियान” कॉमरेड माओत्से तुंग के अधिनायकवादी कम्युनिस्ट शासन द्वारा शुरू किया गया था। उनका उद्देश्य मच्छरों, मक्खियों, चूहों और गौरैया जैसे कीटों को खत्म करना था! वे गौरेया को एक कीट मानते थे क्योंकि ये प्यारे छोटे पक्षी अनाज खाते हैं। आप इस अभियान और इसकी विफलता के बारे में ऑनलाइन अधिक पढ़ सकते हैं। 1. विकिपीडिया लिंक – https://en.wikipedia.org/wiki/Four_Pests_campaign 2. विश्व एटलस – https://www.worldatlas.com/articles/the-four-pests-campaign-objectives-execution-failure- and-consequences.html दो साल से भी कम समय में गौरैया को मारने के परिणामस्वरूप टिड्डियों की आबादी में वृद्धि हुई। उन्होंने अत्यधिक कीटनाशकों के प्रयोग से इसे नियंत्रित करने का प्रयास किया। वे बुरी तरह विफल रहे। इसका परिणाम 1960 के दशक के चीन के कुख्यात अकाल के रूप में हुआ, जिसे माओ के अकाल के रूप में जाना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कहीं न कहीं 15-45 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई।
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बहुत सुंदर प्रस्तुति 🙏 कम्बोडिया में भी नरसंहार हुआ था ना इन चिंटू के द्वारा थोड़ा प्रकाश उसपे भी कभी देते 🙏
आपका प्रस्तुतीकरण और आवाज़ बहुत मोहक है।
बहुत खूब