गोरखपुर के सिविल लाइंस इलाके के रहने वाले मुर्तजा अहमद अब्बासी ने 2015 में आईआईटी बॉम्बे से पास आउट किया था। उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज और एस्सार पेट्रोकेमिकल्स के साथ काम किया था। यहां तक कि उनके पिता मुनीर अब्बासी भी लंबे समय तक कई वित्तीय कंपनियों के कानूनी सलाहकार रहे हैं। गोरखपुर शिफ्ट होने से पहले परिवार लंबे समय तक मुंबई में रहा। यह सारी जानकारी वाम-उदारवादी गुट के इस तर्क पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है कि गरीबी और निरक्षरता का परिणाम आतंकवाद होता है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि भारत में मुसलमानों के लिए रोजगार या शिक्षा के अवसर समान रूप से उपलब्ध हैं। कहीं न कहीं वे धार्मिक आतंकवाद को चुनते रहे हैं और किसी और कारण से उनका काफिरोफोबिया समय-समय पर खुद को प्रदर्शित करता रहा है! मुर्तजा द्वारा हाल ही में गोरखनाथ मंदिर पर किया गया हमला लोगों को यह पूछने पर मजबूर करता है कि क्या इन कट्टरपंथियों के मूल सिद्धांत गलत हैं? क्या गोरखनाथ मंदिर हमला बड़ी साजिश का हिस्सा है?
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