हेमलिन के पाइड पाइपर की लघु लोक कथा और चुनाव के संदर्भ में इसका महत्व…

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

One thought on “हैमलिन और चुनाव के चितकबरा मुरलीवाला”
  1. The Pied Piper of Hamelin (German: Rattenfänger von Hameln also known as the Pan Piper, the Rat-Catcher of Hamelin) is the subject character of a legend from the town of Hamelin (Hameln), Lower Saxony, Germany. The legend dates back to the Middle Ages, the earliest references describing a piper, dressed in multicolored ("pied") clothing, who was a rat-catcher hired by the town to lure rats away with his magic pipe. When the citizens refuse to pay for this service, he retaliates by using his instrument's magical power on their children, leading them away as he had the rats. This version of the story spread as folklore and has appeared in the writings of Johann Wolfgang von Goethe, the Brothers Grimm, and Robert Browning, among others.

    There are many contradictory theories about the Pied Piper. Some have been proposed suggesting he was a symbol of hope to the people of Hamelin, which had been attacked by plague; he moved all the rats out from the town of Hamelin, thus saving the people from the epidemic disease.

    The earliest known record of this story is from the town of Hamelin itself, depicted in a stained glass window created for the church of Hamelin, which dates to around AD 1300. Although it was destroyed in 1660, several written accounts have survived.

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