सोशल मीडिया के दौर में जब फेक न्यूज फैलती और भी आसान हो जाती है तब हिंदी की “बिना विचार जो करे, सो पाछे पछताए” वाली कहावतें और प्रासंगिक हो जाती हैं। पंचतंत्र के पाँचवें भाग – अपरिक्षितकारक, की देवशर्मा नामक ब्राह्मण और उसके पालतू नेवले की कहानी यही शिक्षा देती है कि उसे उद्वेग में कोई कदम उठाने से पहले थोड़ा भार कर सोच-विचार कर लेना चाहिए। इसके अलावा कई बार अनुवाद की समस्या के कारण भी गलतियां होती हैं, जैसे पंडित का अंग्रेजी अनुवाद करते समय विशेषज्ञ या जानकार क्रिएट के बदले प्रीस्ट राइटिंग देने से हाल ही में ANI को जोक मांगनी मांगी गई। राजीव मल्होत्रा की पुस्तक “संस्कृत अनट्रांसलेबल्स” ऐसे ही कई शब्दों की बात करती है। https://www.facebook.com/anandydr https://twitter.com/anandydr https://www.instagram.com/anandydr/
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