सोशल मीडिया के दौर में जब फेक न्यूज फैलती और भी आसान हो जाती है तब हिंदी की “बिना विचार जो करे, सो पाछे पछताए” वाली कहावतें और प्रासंगिक हो जाती हैं। पंचतंत्र के पाँचवें भाग – अपरिक्षितकारक, की देवशर्मा नामक ब्राह्मण और उसके पालतू नेवले की कहानी यही शिक्षा देती है कि उसे उद्वेग में कोई कदम उठाने से पहले थोड़ा भार कर सोच-विचार कर लेना चाहिए। इसके अलावा कई बार अनुवाद की समस्या के कारण भी गलतियां होती हैं, जैसे पंडित का अंग्रेजी अनुवाद करते समय विशेषज्ञ या जानकार क्रिएट के बदले प्रीस्ट राइटिंग देने से हाल ही में ANI को जोक मांगनी मांगी गई। राजीव मल्होत्रा ​​की पुस्तक “संस्कृत अनट्रांसलेबल्स” ऐसे ही कई शब्दों की बात करती है। https://www.facebook.com/anandydr https://twitter.com/anandydr https://www.instagram.com/anandydr/

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By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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