मैं भी अछूत था । Poetry By Ankit Paurush। The Ankit Paurush Show



मैं भी अछूत था । Poetry By Ankit Paurush। The Ankit Paurush Show

कोविड के महीने में, मैं भी अछूत था,
सगे संबंधी साथ छोड़ गए, शून्य मेरा वजूद था,
कोविद के महीने में, मैं भी अछूत था।

वो पंडित भी अछूत थे,
जो मंदिर में बैठा करते थे,
आस पड़ोस सब उनसे,
छुआ छूत करते थे।

कोविड के महीने में, मैं भी अछूत था,

गांव के एक चाचा आकार,
बड़े घमंड में हमसे बोले थे,
उन्होंने समझा हम निपटने वाले हैं,
अपने दिल के भेद उन्होंने खोले थे।

कोविड के महीने में, मैं भी अछूत था।

कुछ रिश्ते भी काम आए,
पर दिल के रिश्ते ने भरपूर साथ निभाए,
मेरी नजर में बस वो दिल महान है,
बाकी सब बईमान है।

कोविड के महीने में, मैं भी अछूत था।

जो वक्त पर साथ दे गए,
उनकी जात इंसान थी,
जात धर्म से बड़ी,
हृदय की आवाज महान थी।

कोविड के महीने में, मैं भी अछूत था।

मैं तो मैं , मेरा बच्चा भी अछूत था,
किस जात की बात करते हो आप,
मेरा जात ही मुझसे दूर था ।

कोविड के महीने में, मैं भी अछूत था।

जब भी मैं, गहराई से सोचता हूं,
शहर, गांव सब एक से लगते,
अच्छे भी लगते, बुरे भी लगते,
जहां कुछ लोग इंसान मिल जाएं,
वो गांव शहर अपने से लगते,
नहीं तो इंसान की खाल है,
जाने पहचाने अजनबी से दिखते।

गांव शहर सब ढकोसले हैं,
जो लोग तुमसे मोहब्बत कर लें,
वो तुम्हारे अपने हैं।

कोविड के महीने में, मैं भी अछूत था।

मुझे समझ नहीं आता,
मैं कहां का हूं,
बस इतना समझ में आता,
जो प्यार कर ले,
मैं उसी के शहर, उसी के गांव का हूं।

कोविड के महीने में, मैं भी अछूत था।

इस पूरी कहानी से,
एक सवाल मेरे जहन में आता,
कुछ पल के लिए में अछूत बन गया,
उन पर क्या गुजरी होगी,
जो वे वजह बना दिए।

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By The Ankit Paurush Show

Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

5 thoughts on “मैं भी अछूत था । Poetry By Ankit Paurush। The Ankit Paurush Show”
  1. 1:21 जात पांत के फेर मंहि, उरझि रहइ सब लोग। मानुषता कूं खात हइ, रैदास जात कर रोग॥

    ~~संत रैदास 🙏🙏🙏

    अज्ञानवश सभी लोग जाति−पाति के चक्कर में उलझकर रह गए हैं। रैदास कहते हैं कि यदि वे इस जातिवाद के चक्कर से नहीं निकले तो एक दिन जाति का यह रोग संपूर्ण मानवता को निगल जाएगा।

    Don't support casteism 😢

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