हार गया सब कुछ, अब कुछ नहीं मेरे पास,
थोड़ा दर्द, थोड़ी उम्मीद , थोड़ा मन है निराश।
कुछ उम्मीदों को सिमट कर,
ख्वाब में घर बनाता हूँ,
हार गया हूं फिर भी,
हिम्मत से खड़ा हो जाता हूं,
हिम्मत से कदम बढ़ाता हूं।

थकान इतनी है,
टूट कर बिखर जाता हूं,
उम्मीदों को सिमट कर,
हिम्मत से कदम बढ़ाता हूं,
आशाओं के दीप जलाकर,
मैं फिर खड़ा हो जाता हूं।

सोचता हूं अक्सर, सोचता हूं मैं अक्सर
केवल मैं नहीं हारा इस दुनिया में,
हारे बहुत हैं,
तो क्यों बैठ गया, मैं थक कर।
इस सोच से कुछ हिम्मत मिल जाती है,
थकान काफी हद तक मिट जाती है।

यह सब सोचकर ऐसा लगता है मुझको ,
इंसान हार सकता पर सोच नहीं,
हार गया तो क्या,
हिम्मत है मुझ मैं,
मैं कोई कमजोर नहीं।

अंकित पौरुष

By The Ankit Paurush Show

Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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