अर्जुन कृष्ण प्रसंग कलयुग मे !
अर्जुन :- अराजकता की स्थिती क्या होती है ? और ये कब बन जाता है ? हे माधव उदाहरण के साथ स्पष्ट करें .
कृष्ण :- जब कोई नियम सरकार बनाती है और सरकार या सरकारी पद पर आसीन लोग ही उसकी अवहेलना करते हो यह पहला चरण है आर्यजकता का दुसरे चरण मे लोग भी उस नियम को ताख पर रख दे और जब भी सरकार नियम को फॉलो करने की बात करे लोग कहने लगे आप फॉलो करते हैं जो हम करें ! हे पार्थ इस कलयुग का गांधी तुम्हे याद है जो आजकल सरकारी कार्ययालय मे दिवार पर टंगा है ! उस गांधी के तस्वीर को तो दिवार पर लगा दिया है साथ ही मुद्रा पर भी उसकी फोटो लगा दी है मगर उसके विचारों को सब भूल चुकें | अब पार्थ उदाहरण समझ लो आजकल बिहार पुलिस की सरकारी जीप पर बिना नंबर पलेट के पुलिस वाले घूम घूम कर लॉ & आर्डर मेन्टेन करने की बात करते हैं मगर खुद ही उसे फॉलो नही करते अब इसमें गलती है किसकी सरकार की या उस पुलिस वाले की या फिर पूरा सिस्टम की ? ये पहला चरण अराजक होने का और जब उस अवहेलना को देखकर जनता भी नियम को फॉलो करना बंद कर दे फिर साशन और जनता मे संघर्ष उत्पन होता है और उसी को आर्यजकता की स्थिति भी कहते हैं |
अर्जुन :- हे माधव पुलिस को कलयुग का नारद जो आजकल सम्वाददाता या पत्रकार कहलाता है वो पुलिस के बिना नंबर प्लेट वाले गाडी पर सवाल करता है यह कितना उचित है ?
कृष्ण :- आज का नारद भी कलयुगी है वो जनता को उकसाता है आग मे घी डालता है और लोगो को अराजक बनाने का प्रयास करता है क्योंकि जिसने सरकारी नौकर तैनात किया या फिर जिसने गाडी मुहया करवाई उससे वो सवाल नही पूछता और ना ही उससे सवाल पूछने की हिम्मत रखता है आज के नारद को कमजोर कड़ी और नौटंकी से मतलब है , सुधार से किसी को कोई मतलब नही , अगर उसे सुधार से मतलब होता तो वो आर टी आई लगाता या फिर सरकार से सवाल करता मगर उसको मतलब है सिर्फ जनता का अटेंशन पाने मे .
अर्जुन :- क्या कह रहें हो केशव ! ये लोग दिखाएँगे तभी तो सरकार भी एक्शन मे आएगी ?
कृष्ण :- बड़े भोले हो अर्जुन , कितना बदलाव हुआ आज तक यह सब दिखाने से ? कितने इंजिनियर का तबादला हुआ ? नाली , नाला कितना ठीक हुआ क्या वो पुलिस वाला फिर से बिना नंबर प्लेट के नहीं चलेगा ? जनता का अभी तक कितना भला हुआ ?
अर्जुन :- फिर कैसे भला होगा जनता का केशव ? क्या करना चाहिए पत्रकारों को ?
कृष्ण :- इन सभी चीजो का एक लिस्ट बनाकर सीधा साशन और सत्ता से सवाल , आर टी आई और कोर्ट के राश्ते इन सभी मशलो का निवारण और भी राश्ते हैं जनता का प्रतिनिधि ही तो नियुक्त करता है सरकारी अफसर या कर्मचारी को डरपोक और नचनिया बजनिया टाइप लोग शेर की पूछ पकरते हैं शेर का सिकार करने की हिम्मत सबके के पास कहाँ है , हे अर्जुन बात को गोल गोल घुमाकर ये लोग आर्यजकता की स्थिति को ही हवा दे रहें हैं .
अर्जुन :- प्रणाम माधव सब समझ गया
May be an image of 3 people, outdoors and text that says "बिहार पुलिस की मनमानी! चल रही बीना नंबर प्लेट की गाड़ी! POLICH 00000"

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