न मोटर साइकिल थी, न कार थी,
जिंदगी साइकिल पर सवार थी,
पर मजा बहुत था।
न जीत थी,न हार थी,
मन मौजी सरकार थी,
पर मजा बहुत था।
न कमाई थी, न धमाई थी,
पापा के पैसा पर मौज उड़ाई थी,
पर मजा बहुत था।
छोटी छोटी फरमाइश थी,
जिसमें हजारों ख्वाईशें समाई थी,
एक छोटे से लूडो में,
यारी कमाई थी,
पर मजा बहुत था।
न दिन था, न रात थी,
दोस्तों के साथ खेलना ही ख्वाइश थी,
पापा का चॉकलेट लाना,
दोस्तों के साथ मिल बात कर खाना,
भाई बहन का लड़ जाना,
फिर एक दूसरा को बनाना,
तेरा मेरा जैसा नाम न था,
मासूम दिल बदनाम ना था,
एक साइकिल पर जिंदगी सवार थी,
पर मजा बहुत था।
न फेसबुक था, न व्हाट्सएप था,
पर यार थे, दिलदार थे,
हर दिन मिलने को तैयार थे,
हर दिन सुहाना लगता था,
मौसम मस्ताना लगता था,
छोटी छोटी खुशी में,
मन मौजी दिल दीवाना लगता था,
एक छोटी साइकिल पर,
पूरी दुनिया की खुशी पाई थी,
इसलिए मजा बहुत था।
खुला साफ आसमां था,
खतों का जमाना था,
हर कोई अपना था,
न कोई बेगाना था,
चिड़ियों की चहचहाट थी,
प्यार ही कमाई थी,
एक छोटी सी साइकिल पर,
जिंदगी सिमट आई थी,
पर मजा बहुत था।
अब दिखावा आ गया,
मोटर साइकिल से कार पर आ गया,
दोस्ती के नाम पर, सौदा करना आ गया,
मुंह पर राम, बगल में छुरी रखना आ गया,
रिश्तों के रंग को, बेरंग करना आ गया,
सच का नकाब औढ़कर, झूठ बोलना आ गया,
तेरा मेरा, अपना पराया, भेद भाव करना आ गया,
इसलिए मजा खो गया, भीड़ में अकेला हो गया।
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