जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 29 मई ::

लोकसभा आम चुनाव 2024 का अंतिम चरण का मतदान 1ली जून 2024 को देशभर में 56 सीटों पर होगा। बिहार के जहानाबाद संसदीय क्षेत्र में, मतदान की तिथि के करीब आते ही, जहानाबाद चुनाव अखाड़ा में तब्दील हो गया है। एक तरफ एनडीए नेता मतदाता को अपने पक्ष में गोलबंद करने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के नेता गांव-गांव घूम कर मतदाताओं से अपील कर रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रत्याशी जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार महागठबंधन और एनडीए दोनों पार्टी के लिए चुनौती बन गए हैं। कहा जाय तो दोनों पार्टियों के लिए बहुत बड़ा रोड़ा बन गए हैं। महागठबंधन और एनडीए प्रत्याशी काफी सकते में है।

जहानाबाद संसदीय क्षेत्र में जदयू के खास कर स्वर्ण नेता जो स्वर्ण को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए एड़ी चोटी का जोड़ लगा रहे हैं, वहीं उनके दौरे को लेकर , नाम न छापने के शर्त पर मतदाताओं ने कहा है कि जदयू के स्वयंभू नेता जो अपने आप को स्वर्ण के नेता कहते हैं वह यह भूल गए हैं कि स्वर्ण खास करके भूमिहार समाज अपने स्वाभिमान के लिए जाना जाता है और वे अपने स्वाभिमान से समझौता किसी भी सूरत में नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में उन्हें भी यह याद रखना चाहिए कि यदि इस दल में वह बहुत ज्यादा प्रभावशाली और ताकतवर थे तो समाज के लिए उन्होंने क्या किया। जहानाबाद संसदीय क्षेत्र जब आतंकवाद रूपी त्रासदी झेल रहा था तबये लोग कहां खड़े थे समाज की तो बात छोड़ दें उनके अपने सम्मान की रक्षा वे स्वयं नहीं कर सके। जिस दल में वह है राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्हें मनोनीत तो किया गया परंतु कार्यकाल भी पूरा करने नहीं दिया गया और उन्हें अपमानित तरीके से बाहर का रास्ता दिखाया गया और वे जनता के बीच ऐसे दल की तरफदारी कर रहे हैं, जिससे उनके प्रति एक समाज को घृणा हो गया है।

गौरतलाप है कि उनकी सभा में उनको सुनने और सुनाने वाले लोग भी पहुंच रहे हैं और आपस में एक दूसरे से- एक दूसरे के, मन की बात जानना चाह रहे हैं कि उनके आने के बाद क्या कोई प्रभाव समाज पर पड़ रहा है या नहीं! दबी जुबान से नाम न छापने के शर्त पर कुछ मतदाताओं ने कहा कि हम सिर्फ यह सुनना चाहते हैं कि यह बहरूपिया अपने हित को साधने के लिए, कभी समाज के मजबूत स्तंभ रहे नेताओं को, परेशान करता है। कभी उन्हें जेल से बाहर निकाल कर अपने को मजबूत बनाने के लिए इस्तेमाल करता है, और तो और, यह व्यक्ति लालू प्रसाद जी के भी शरण में पहुंच जाता है। इन्हें वह आतंक याद नहीं है, जिसका हालिया उदाहरण यह है कि लालू यादव समर्थित चांद गुरो द्वारा बिहार के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के प्रांगण में एक स्वर्ण छात्र की ईंट पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी गई। समाज उसे इस कारनावें को देखकर आज भी इनके इस दुसाहस को याद कर शीहर उठता है। उनके आने-जाने से खासकर स्वर्ण समाज बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रत्याशी अरुण कुमार के पक्ष में मतदान करने के लिए संकल्पित हैं चाहे इसके लिए परिणाम कुछ भी क्यों न हो।
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