कुछ लोग यह भी कह रहें की योगी आदित्य नाथ ने ही मरवाया अतीक और असरफ को
उनलोगो से बस ये कहना चाहूंगा की ये तो सीधा आरोप है कि वही मरवाए हैं। हम ऐसा मानते हैं की ये एक चूक है और आज के दौर में प्रेस का मुखौटा तो कोई भी पहन सकता है इसे सुरक्षा में चूक की तरह भी देख सकते हैं ।
इसके लिए तो SIT जाँच का गठन कर ही दिया गया है, और क्या चाहते हैं आप ? इस्तीफा दे दे आए ? अब मीडिया ऐसे भेस में भी आ सकती है इसलिए प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले सभी पार्टियां मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल करे सोशल मीडिया का दौर है इसलिए आईडी उतनी जरूरी नही मगर मेटल डिटेक्टर बहुत जरूरी है। खुल्ले में रोड पर नेताओ को बाइट देने से बचना चाहिए।
सरकार कितनी निगरानी करेगी लोग घर में कट्टा बना लेते हैं मुंगेर जाइए और भी कई ऐसे जगह है जहां पर औजार बनता होगा ! मगर कुशल कारीगर या हथियार बनाने वालों को चिन्हित कैसे किया जाए ?
बहुत समस्या है लोगो को रोजगार दीजिए नही तो एक दिन कट्टा का शिकार तो होना ही पड़ेगा।
बेहतर शिक्षा और रोजगार अपराध को कम करते हैं।
यही वो टूल है जिससे आप स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते है। नही तो असंतुष्ट लोग आपकी जान भी ले सकते हैं।
इसलिए समाज के निर्माण के लिए, देश निर्माण के लिए, शिक्षा, स्वास्थ्य , बिजली , पानी को मुफ्त किया जाए इसके लिए आप कॉरपोरेट टैक्स और इनकम टैक्स में इजाफा करें। अगर ऐसा करके आप पेट्रोल डीजल पर भी Cess. लगाएंगे तो लोग उसका सहर्ष स्वागत करेंगे।
सभी लोगो को मुफ्त में बिजली मिलेगी, अमीर टैक्स चुका रहे होंगे और गरीबों को इसका लाभ मिलेगा जिससे की समाज में समरसता आएगी
पिछड़े समाज को आगे आने का मौका मिलेगा।
इतनी सुविधा दे दीजिए रोजी रोजगार हम छीन लेंगे फिर कोई आंटरप्रेनरशिप या फिर कोई भी रोजगार का बर्डन नही रहेगा।
लोग पढ़े लिखे होंगे तो वो यहां पर न सही, कही और जाकर काम करेंगे, इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
प्राइवेट स्कूल और सरकारी स्कूल या फिर कॉलेज सब के सब मुफ्त हो जिसका खर्च सरकार वहन करे।
चुकी सरकार का काम सरकार चलाना है इसलिए प्राइवेट संस्थानों को जिंदा भी रखना उतना ही अहम है।
जिससे की सरकार को सिर्फ पैसा खर्च करना पड़े दिमाग लगाने के लिए पहले ही लोग बैठे हैं। हमारा वोट उसी को जो हमे शिक्षा, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाए मुफ्त में देने का वचन दे।
मुफ्त का राशन अमेरिका भेजिए।
सुना है वहां पर लोग बांसी खाना, पिज्जा और बर्गर पर ध्यान दे रहे मुफ्त में देना ही है तो शिक्षा बिजली पानी और स्वास्थ्य दो।
खाना और रोजगार हम खुद सुनिश्चित कर लेंगे, मुफ्त की असल रेवड़ी राशन है, ना की बिजली, या फिर स्वास्थ्य या फिर शिक्षा, ये अधिकार सुनिश्चित करने की बात हमारा संविधान भी कहता है।
बिजली को तो मद्रास हाई कोर्ट ने मूल मानव अधिकार तक कह दिया है। इसलिए देश के प्रधान को यह सोचना चाहिए की मुफ्त की रेवड़ी बांट आप रहे आप और डांट किसी और को रहें हैं ! बुझाया जी ? नही !, और नही बुझाया तो कभी भी नही बुझाएगा।
कट्टा छोड़ो कलम उठाओ शिक्षा के लिए यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया का प्रयोग करो जहां से मिले शिक्षा ग्रहण करो तब होगा सवस्थ समाज का निर्माण सरकार आपके लिए बहुत कुछ करती है, और कितना करती है, आपको दिख रहा होगा आपके टैक्स का पैसा आपको ही देकर भीखमंगा बना देती है। जैसे की घर बेच के दिए है ! बड़े वादे बड़े दावे सब कोढ़ है।
सबसे ज्यादा पिस्ता कौन है आम आदमी जिसको मिडिल फॅमिली भी कहते हैं अमीरो को कारपोरेट टैक्स और सरकार का लाभ मिल ही जाता है । गरीबो को आरक्षण और राशन है ही होना भी चाहिए इसके हम पक्के समर्थक हैं मगर अहम सवाल यह है की आम आदमी को क्या मिला ? बाबा जी का ठुल्लू ?
सरकार किसी को राशन देकर और किसी को नहीं देकर खुद ही भेद भाव का सिरजन करती है अंग्रेज चले गए और अपना गुलामी वाला लोकतंत्र छोड़ गए पार्शियललिटी कीजिये .
सिंगापुर से डील तो हो जाता है मगर उद्योग निति भी सिख लेते तो बेहतर होता चिलाने से कोई विश्व गुरु नहीं होता है मोदी जी मुफ्त में शिक्षा, बिजली , पानी और स्वास्थ्य देने से विश्व गुरु बनेगे। अरे जो टैक्स लगाना है वो लगा दीजिये जो सेस लगाना है वो सेस भी लगा दीजिये इन सभी चीजों का खर्च आप वहन कीजिये
शिक्षा ही स्वस्थ लोकतत्र की नीव है कांग्रेस तो नही ही दी मोदी से उम्मीद है। इसलिए हुजूर शिकायत आपसे ही करना मेरा दस्तूर है। दे दीजिए न मुफ्त में शिक्षा मुफ्त में बिजली पानी और स्वास्थ्य बना दीजिए न स्वर्णिम भारत।
की खाली नोट बंदी ही कीजिएगा रातों रात अपना पेट भरिएगा और हमको भूखा रखिएगा, सब तो यही किया क्या आप भी ऐसा ही कीजिएगा ? अरे बताइए ना मोदी जी ! झूठा राष्ट्रवाद का नारा कब तक ? हिंदुत्व का पुराना अजेंडा कब तक ? मुफ्त की रेवड़ी बाटिये लेकिन हमारे घर में भी थोड़ा मुफ्त में बल्ब जला दीजिये
थोड़ा मुद्दे पर आइये भटक गए है लोग , विपक्ष तो अडानी अडानी कर रही है सोचे हम ही मूल समस्या को उठा दे !