प्राचीन काल में स्वस्थ जीवन की कला से लेकर आज की सरकारी पहल तक, भारत का सफर

प्राचीन भारत में स्वास्थ्य चेतना
प्राचीनकाल में भारत के नागरिक स्वास्थ्य के प्रति बेहद जागरूक थे। उनकी दिनचर्या ऐसी थी कि बीमारी पास भी न फटक सके। सुबह-शाम 5-10 किलोमीटर पैदल चलना, योग, प्राणायाम और मेहनत का काम उनकी आदत थी। सूर्यास्त से पहले भोजन, रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना—यह सब सामान्य जीवन का हिस्सा था। खानपान शुद्ध और संतुलित होता था, जिससे शरीर स्वस्थ रहता था।

आधुनिक भारत में बदलाव और चुनौतियाँ
आज हालात बदल गए हैं। पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव से युवाओं की दिनचर्या और खानपान में बड़ा परिवर्तन आया है। देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना, और फास्ट फूड का चलन बढ़ने से बीमारियाँ बढ़ रही हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के मरीज़ों की संख्या में इज़ाफा हुआ है, जिसका इलाज आम नागरिकों के लिए महँगा साबित हो रहा है।

सरकार की सक्रिय भूमिका
केंद्र और राज्य सरकारें स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही हैं। सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ हर वर्ग तक पहुँचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं:

  • आयुष्मान भारत: 1.75 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनाए गए, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आई।
  • कैंसर से जंग: कैंसर दवाओं पर कस्टम ड्यूटी खत्म की गई। 9 करोड़ महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग हुई। 2025-26 तक 200 डे-केयर कैंसर सेंटर बनेंगे।
  • टीबी और दिमागी बुखार: टीबी मरीज़ों की संख्या घटी, दिमागी बुखार से मृत्यु दर 6% पर आई।
  • टीकाकरण: U-WIN पोर्टल पर 30 करोड़ वैक्सीन खुराक दर्ज।
  • टेलीमेडिसिन: 30 करोड़ से ज़्यादा ई-कन्सल्टेशन हुए।

डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य
गाँवों तक डॉक्टर पहुँचें, इसके लिए पिछले 10 साल में 1.1 लाख नई मेडिकल सीटें बनाई गईं। 2025-26 में 10,000 और सीटें जोड़ी जाएँगी। अगले 5 साल में 75,000 सीटों का लक्ष्य है।

स्वच्छ जल के लिए जल जीवन मिशन
2019 से शुरू इस मिशन से 15 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से शुद्ध पानी मिला, जिससे जलजनित बीमारियाँ कम हुईं।

भारत: स्वास्थ्य सेवाओं का स्वर्ग?
विकसित देशों जैसे अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाएँ महँगी और पहुँच से बाहर हैं। वहाँ डॉक्टर का अपॉइंटमेंट महीनों बाद मिलता है, और बिना बीमा के इलाज असंभव है। वहीं, भारत में हर मोहल्ले में डॉक्टर और दवाएँ आसानी से मिल जाती हैं।

आगे की राह
सबसे बेहतर स्थिति तब होगी, जब नागरिक बीमार ही न पड़ें। इसके लिए सनातन संस्कृति की स्वस्थ आदतों को अपनाना होगा। वरना, सरकारों को स्वास्थ्य बजट बढ़ाते रहना पड़ेगा।

By Prahlad Sabnani

लेखक परिचय :- श्री प्रह्लाद सबनानी, उप-महाप्रबंधक के पद पर रहते हुए भारतीय स्टेट बैंक, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई से सेवा निवृत हुए है। आपने बैंक में उप-महाप्रबंधक (आस्ति देयता प्रबंधन), क्षेत्रीय प्रबंधक (दो विभिन्न स्थानों पर) पदों पर रहते हुए ग्रामीण, अर्ध-शहरी एवं शहरी शाखाओं का नियंत्रण किया। आपने शाखा प्रबंधक (सहायक महाप्रबंधक) के पद पर रहते हुए, नई दिल्ली स्थिति महानगरीय शाखा का सफलता पूर्वक संचालन किया। आप बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे। आपने बैंक में विभिन पदों पर रहते हुए 40 वर्षों का बैंकिंग अनुभव प्राप्त किया। आपने बैंकिंग एवं वित्तीय पत्रिकाओं के लिए विभिन्न विषयों पर लेख लिखे हैं एवं विभिन्न बैंकिंग सम्मेलनों (BANCON) में शोधपत्र भी प्रस्तुत किए हैं। श्री सबनानी ने व्यवसाय प्रशासन में स्नात्तकोतर (MBA) की डिग्री, बैंकिंग एवं वित्त में विशेषज्ञता के साथ, IGNOU, नई दिल्ली से एवं MA (अर्थशास्त्र) की डिग्री, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से प्राप्त की। आपने CAIIB, बैंक प्रबंधन में डिप्लोमा (DBM), मानव संसाधन प्रबंधन में डिप्लोमा (DHRM) एवं वित्तीय सेवाओं में डिप्लोमा (DFS) भारतीय बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान (IIBF), मुंबई से प्राप्त किया। आपको भारतीय बैंक संघ (IBA), मुंबई द्वारा प्रतिष्ठित “C.H.Bhabha Banking Research Scholarship” प्रदान की गई थी, जिसके अंतर्गत आपने “शाखा लाभप्रदता - इसके सही आँकलन की पद्धति” विषय पर शोध कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न किया। आप तीन पुस्तकों के लेखक भी रहे हैं - (i) विश्व व्यापार संगठन: भारतीय बैंकिंग एवं उद्योग पर प्रभाव (ii) बैंकिंग टुडे एवं (iii) बैंकिंग अप्डेट Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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