पहले चाय की दुकान पे सिर्फ ‘चाय’ बिकती थी वो भी एक नम्बर क्वालिटी की।

फिर बिस्कुट, टोस्ट भी बिकने लगे,

फिर धीरे-धीरे सिगरेट भी बिकने लगी,

फिर किसी ने गुटका बेचने की भी सलाह दे डाली,

अब एक काऊंटर कोल्ड ड्रिंक का भी लग गया,
एक साहब ने कहा कि सिर दर्द,पेट दर्द की गोलियाँ भी रखलो।इस पर भी अमल किया गया।गोलियां भी बिकने लगीं।

इतना मैनेज करने में व्यस्तता के कारण ‘चाय’ की क्वालिटी खराब हो गई अतः ग्राहक कम होते गए।
चाय का काम ठप्प पड़ गया।
अब दुकान पर चाय छोड़कर सब कुछ मिलता है।

विद्यालयों में भी पहले केवल अध्यापन हुआ करता था…
समझ गए ना???

By Dr. Devendra Prasad

Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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