इंफाल। मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में सोमवार को एक हजार से अधिक महिलाओं ने मोरेह कस्बे से राज्य पुलिस बलों को हटाने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया।
मांग पूरी न होने पर इन महिलाओं ने राज्य के सभी पर्वतीय जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी।
कुकी-ज़ो समुदाय की हजारों महिलाओं ने पुलिस बलों को म्यांमार की सीमा से सटे मोरेह कस्बे में दाखिल होने से रोकने के लिए 28 जुलाई को वहां जाने वाली सड़क को अवरुद्ध किया था।
भारतीय रिजर्व बटालियन और मणिपुर राइफल्स सहित अन्य सुरक्षा बलों का दस वाहनों का एक काफिला जब मोरेह कस्बे की तरफ बढ़ रहा था, तब महिलाओं ने उसे तेंगनौपाल में रोक दिया था। चुराचांदपुर में महिलाओं के प्रदर्शन से एक दिन पहले रविवार को विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) ने कहा था कि अगर मणिपुर में जातीय संघर्ष की समस्या को जल्द हल नहीं किया गया, तो पूरे देश के समक्ष सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
गैर-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दलों का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के हालात का जायजा लेने के लिए शनिवार को वहां पहुंचा था। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री पर पूर्वोत्तर के इस राज्य में लगभग तीन महीने से जारी जातीय संघर्ष पर ‘चुप्पी’ साधकर ‘निर्लज्ज उदासीनता’ बरतने का आरोप लगाया था।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।