मैंने उस एक वोट को प्रबंधित किया था जिसने वाजपेयी सरकार को नीचे लाया था। 1999 में: शरद पवार

📅 नई दिल्ली | 21 फरवरी 2025 – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) के अध्यक्ष शरद पवार ने 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में अपनी ‘भूमिका’ को लेकर बड़ा खुलासा किया।

नई दिल्ली के एक निजी कार्यक्रम में पुस्तक विमोचन के दौरान बोलते हुए शरद पवार ने बताया कि उन्होंने एक महत्वपूर्ण वोट प्रबंधन किया था, जिसने वाजपेयी सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई।


🗣️ शरद पवार का बयान: “वो 10 मिनट और एक वोट!”

🔹 “1999 में मैं लोकसभा में विपक्ष का नेता था और हमने वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था। यह प्रस्ताव बहस के बाद पारित हुआ और हम इसे केवल ‘एक वोट’ से जीत गए।
🔹 ब्रेक के दौरान मैंने बाहर जाकर किसी से बात की। जब मैं लौटा, तो सरकार के एक सदस्य ने अपना निर्णय बदल दिया। और इसी एक वोट के कारण वाजपेयी सरकार गिर गई।”

📌 इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।


🔥 भाजपा ने किया पलटवार!

भाजपा के नेताओं ने शरद पवार पर ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ (नेताओं की खरीद-फरोख्त) में शामिल होने का आरोप लगाया।

➡️ भाजपा नेता अतुल भातखकर ने कहा:
📌 “शरद पवार खुद को बहुत बड़ा रणनीतिकार दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि वाजपेयी सरकार की हार सिर्फ भाजपा की नैतिकता और मूल्यों के कारण हुई थी। भाजपा ने कभी हॉर्स ट्रेडिंग नहीं की। 2008 में भी भाजपा ने शरद पवार की मदद से सत्ता में आने से इनकार कर दिया था।”

➡️ शिवसेना यूबीटी पर तंज
📌 “बालासाहेब ठाकरे ने उस समय वाजपेयी सरकार का समर्थन किया था। अब क्या शिवसेना (यूबीटी) के नेता शरद पवार के इस बयान पर बोलने की हिम्मत करेंगे?”


🚨 राजनीतिक निहितार्थ क्या हैं?

✅ शरद पवार का बयान 1999 की ऐतिहासिक राजनीतिक घटनाओं की याद दिलाता है, जब वाजपेयी सरकार सिर्फ एक वोट से गिर गई थी।
✅ भाजपा इसे ‘सिद्धांतों की जीत’ बता रही है, जबकि शरद पवार इसे ‘रणनीतिक जीत’ के रूप में पेश कर रहे हैं।
✅ शिवसेना (यूबीटी) की स्थिति भी महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि बालासाहेब ठाकरे ने उस समय वाजपेयी का समर्थन किया था, लेकिन अब उनके उत्तराधिकारी शरद पवार के साथ मंच साझा कर रहे हैं।


📌 अब आगे क्या?

✅ भाजपा इस बयान को लेकर शरद पवार पर और हमलावर हो सकती है।
✅ महाराष्ट्र की राजनीति में NCP-SP, शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस बनाम भाजपा का संघर्ष तेज हो सकता है।
क्या यह बयान आगामी चुनावों को प्रभावित करेगा? यह देखना दिलचस्प होगा!

💬 आपके विचार? क्या 1999 में वाजपेयी सरकार का गिरना एक राजनीतिक साज़िश थी या लोकतंत्र की प्रक्रिया? अपनी राय कमेंट में दें! ⬇️

By Aware News 24

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