ज्ञानवापी परिसर।
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ज्ञानवापी परिसर में वक्र गौरी सहित अन्य देवियों की नियमित पूजा किए जाने के मामले में बुधवार को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। हाई कोर्ट ने इस मामले में पहले ही सुनवाई कर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के अधिकार मामले में दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। यह आदेश मित्र जेजे मुनीर ने अंजुमन प्राधिकरण मतसमित समिति, वाराणसी की ओर से पैरवीकार याचिका पर दिया था। राखी सिंह और नौ अन्य महिलाओं ने पूजा के अधिकार को लेकर वाराणसी की अदालत में सिविल वाद दायर किया है।
अंजुमन अख्तियार मजिसाइड कमेटी, वाराणसी ने वाद की पोषणीयता पर आपत्ति जताते हुए अर्जी को पैरवी की कि न्यायालय को वर्शिप अधिनियम 1991 के अभियोजन अधिनियम के तहत न्यायालय को सुनवाई का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कमेटी की अर्जी को खारिज कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी, जहीर असगर, फातिमा अंजुम और शेयरधारकों की ओर से वकील हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, प्रदीप शर्मा, सौरभ तिवारी, प्रभाष पांडेय, विनीत संकल्प, अपर महावक्त एमसी चतुर्वेदी, मुख्य स्थायी वकील बिपिन बिहारी पांडेय ने बहस की। याची के वकील नकवी का तर्क था कि पूजा स्थल अधिनियम से नियमित पूजा प्रतिबंधित है, क्योंकि पूजा स्थल की धार्मिक प्रकृति से छेड़छाड़ होगी, जो कानून नहीं किए जा सकते। इसलिए यहां नियमित पूजा की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।