पटना/11 अक्टूबर 2023
आज महिला एवं बाल विकास निगम के मुख्यालय में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 के अवसर पर बिहार में बालिकाओं के महत्व बढ़ाने की दिशा में यूनिसेफ एवं यूएनएफपीए के सहयोग से एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एक बच्ची के जन्म से लेकर करियर के चयन में आनेवाले बाधाओं को दूर करने एवं उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना रहा। इस अवसर पर 10-14 एवं 15-19 आयु वर्ग के किशोर-किशोरियों के लिए यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किए गए एडोलेसेंट लाइफ स्किल्स मॉड्यूल को लॉन्च किया गया। साथ ही, किलकारी बिहार बाल भवन के बच्चों द्वारा किशोरियों के अधूरे सपनों पर केंद्रित एक मनमोहक नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति भी दी गई।
समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा के अपने विशेष संबोधन में कहा कि यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि समाज में महिलाएं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से गुजर रही हैं। इन्हें दूर करने के लिए सरकार और महिला एवं बाल विकास निगम समेत अन्य विभागों के द्वारा बालिकाओं को संबल बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनके कुछ सकारात्मक परिणाम भी आए हैं। सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए गए हैं। विद्यालयों में बच्चियों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री साइकिल योजना एक अच्छी पहल साबित हुई है। पंचायतों में 50 प्रतिशत की भागीदारी दी गई है, जिसे अन्य राज्य भी अपना रहे हैं। आज इस बात की जरूरत है कि हमारे समाज में बालिकाओं को सक्रिय अंग के रूप में विकसित किया जाए। मुझे पूरी उम्मीद है कि हम इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करेंगे और हमारा बिहार नेशनल लीडर के रूप में उभर कर आगे आएगा।
यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफीसा बिन्ते शफीक ने अपने संबोधन में कहा कि किशोरियों के अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन, सेवाओं की डिलीवरी और उनके नेतृत्व को बढ़ावा देने और समर्थन करने हेतु लड़कियों को केंद्रित करते हुए किशोर-किशोरियों में निवेश बढ़ाना समय की मांग है। उन्होंने बिहार सरकार के पहलों की भी सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री साइकिल योजना, पोशाक योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम और विशेष रूप से बिहार राज्य महिला सशक्तिकरण नीति के तहत उच्च प्राथमिकता के रूप में पीसीपीएनडीटी अधिनियम का कार्यान्वयन गेम चेंजर साबित हुआ है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निगम की प्रबंध निदेशक बन्दना प्रेयषी ने कहा कि कुछ दिन ऐसे होते हैं जो महिला एवं बाल विकास निगम के लिए बहुत ही खास होते हैं। 11 अक्टूबर इसलिए खास है क्योंकि आज हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाते हैं। हमने काफ़ी दूरी तय की है, लेकिन हमें बहुत आगे जाना है। बालिकाओं के कौशल विकास पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आज यह दिन है कि हम बुनियादी आवश्यकताओं से आगे की बात करें और बालिकाओं को एक अलग सपना देने के बारे में सोचें। अब हमें 2.0 पर आना है। उन्होंने महिला एवं बाल विकास निगम के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण नीति को सुचारू रूप से चलाने हेतु अंतर्विभागीय समन्वय की आवश्यकता है। इसके लिए शिक्षा विभाग, महादलित विकास मिशन, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग एवं अन्य विभागों के साथ समन्वय कर कार्य किया जाएगा।
उन्होंने सभी विभागों से संवेदनशील होने एवं आगे आने की अपील की ताकि निगम द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं के हित में चलाए जा रहे योजनाओं का सफल कार्यान्वयन किया जा सके। उन्होंने बताया कि आज ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ योजना के तहत सभी जिलों में पंचायत स्तर तक दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत साइकिल रैली, छात्राओं के साथ कॉफ़ी पर संवाद, महिला मुद्दों पर प्रेरित करनेवाली फिल्मों का प्रदर्शन, ए.एन.एम./आंगनबाड़ी सेविकवों के द्वारा गत दो माह में प्रतिरक्षित बालिकाओं एवं उनके अभिभावकों को सम्मानित करने, नुक्कड़ नाटक, पौधारोपण एवं विद्यालयों में भाषण एवं पेंटिंग प्रतियोगता का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि आधी आबादी देश के विकास में अपना योगदान देने में पीछे रहती हैं तो पूरा देश इसका नुकसान झेलता है। उन्होंने बालिकाओं के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बालिकाओं से संबंधित आंकड़ों के बेहतर होने की उम्मीद जताई।
शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने कहा कि मैं उन लोगों के प्रति धन्यवाद व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने समाज में महिलाओं और बालिकाओं के योगदान को रेखांकित करने का कार्य किया है। उन्होंने शिक्षा विभाग के द्वारा बालिकाओं के हित में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की भी चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उड़ान कार्यक्रम जो कि 13 जिलों में ही संचालित था आज सभी 38 जिलों में चलाया जा रहा है। उन्होंने जीवन कौशल मॉड्यूल के माध्यम से माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में रोल आउट करने पर प्रकाश डाला।
अपने स्वागत संबोधन में निगम की कार्यपालक निदेशक अलंकृता पाण्डेय ने बताया कि आज हम सब यहाँ एक बच्ची के जन्म से लेकर परिवार में उसके महत्व, शिक्षा के अधिकार और करियर के चयन में आनेवाली बाधाओं को दूर करने के समेकित उपायों के बारे चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। उन्होंने निगम के द्वारा बालिकाओं के हित में चलाई जा रही योजनाओं पर प्रकाश डाला।
यूएनएफपीए की राज्य प्रमुख कीर्ति एवं यूनिसेफ बिहार के प्रसन्ना ऐश के द्वारा आंकड़ों की जुबानी एसडीजी जेंडर इंडेक्स, जन्म के समय लिंग अनुपातसे लेकर बिहार में बालिकाओं की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई।
सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज की जेंडर विशेषज्ञ मधु जोशी ने किशोर-किशोरियों के लिए चलने वाले कार्यक्रम में डिजिटल लिटरेसी को शामिल करने एवं जीवन कौशल के माध्यम से बालिकाओं की क्षमता को नई ऊँचाई देने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के दौरान समाज कल्याण निदेशालय के निदेशक प्रशांत कुमार, यूनिसेफ बिहार के वरीय सलाहकार आर. के. महाजन, नारी गुंजन संस्था की संस्थापक पद्मश्री सुधा वर्गीज समेत यूनिसेफ, यूएनएफपीए एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे। साथ ही, एक्शन एड एसोसिएशन, प्रथम कौंसिल फ़ॉर वल्नरेबल चिल्ड्रेन, पीसीआई एवं किलकारी के प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में अपनी भागीदारी दर्ज की।