दिल्ली में सोनम वांगचुक का विरोध: लद्दाख क्या विशेष दर्जा मांग रहा है?

दिल्ली सीमा पर प्रदर्शनकारियों की हिरासत
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली तक की पदयात्रा का नेतृत्व किया। इस दौरान उन्हें और उनके सहयोगियों को सोमवार रात दिल्ली सीमा पर हिरासत में लिया गया। वांगचुक का कहना है कि उनकी मांग क्षेत्र की स्वायत्तता और अन्य अधिकारों से जुड़ी है, जो पहले से ही अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में उठाई जा रही हैं।

संविधान में असममित संघवाद की परिभाषा
भारतीय संविधान असममित संघवाद का पालन करता है, जिसमें कुछ राज्यों और क्षेत्रों को दूसरों की तुलना में अधिक स्वायत्तता प्राप्त होती है। यह स्थिति अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया के समान शास्त्रीय संघ के विपरीत है, जहां सभी राज्यों को समान अधिकार होते हैं।

पांचवीं और छठी अनुसूची का महत्व
पांचवीं और छठी अनुसूची का उद्देश्य आदिवासी जनसंख्या की रक्षा करना और उन्हें विशेष अधिकार प्रदान करना है। पांचवीं अनुसूची उन क्षेत्रों पर लागू होती है जिन्हें ‘अनुसूचित क्षेत्र’ कहा जाता है, जबकि छठी अनुसूची असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के ‘आदिवासी क्षेत्रों’ में लागू होती है।

विशेष प्रावधान और सुधार की आवश्यकता
हालांकि संविधान में विशेष प्रावधान हैं, लेकिन अभी भी सुधार की आवश्यकता है। कई आदिवासी बस्तियों को संविधान के तहत सुरक्षा से वंचित रखा गया है। राज्यसभा में लंबित 125वें संवैधानिक संशोधन विधेयक का उद्देश्य स्वायत्तता बढ़ाना है, और इसके पारित होने की प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता है।

आगे का रास्ता
वांगचुक और उनके समर्थकों की मांग लद्दाख के विकास और आदिवासी समुदायों के हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इसे देखते हुए, सरकार को इन मांगों पर विचार करते हुए आवश्यक निर्णय लेना चाहिए।

विशेषज्ञ की राय
रंगराजन. आर, पूर्व आईएएस अधिकारी और ‘पॉलिटी सिम्प्लीफाइड’ के लेखक, का मानना है कि आदिवासियों के वन अधिकारों की मान्यता और संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

इस प्रकार, लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग न केवल स्थानीय जनसंख्या के लिए, बल्कि समग्र देश के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।

By Aware News 24

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