हम सब सोशल मीडिया मे फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य माध्यमों से खबर देखते हैं साथ ही वेबसाइट पर भी खबर पढ़ते हैं,
हम सभी के मन मे एक सवाल होता है की आखिरकार पैसा कहाँ से आता है इनके पास ? क्यों आता हैं ना !
बिक चुका है डिजिटल मीडिया भी ! क्या सब हमाम मे नंगे हैं ?
डिजिटल मीडिया , वेब न्यूज़ पोर्टल, सोशल मिडिया न्यूज़ का क्या है रेवेनुए मॉडल
वैधानिक चेतावनी यह आकलन वेब पोर्टल वाले न पढ़े तो अच्छा होगा बाद बांकी मर्जी आपकी
तो आइये हम आपको समझाते हैं पैसा कहाँ से आता है, पैसा कमाने के 3 से 4 माध्यम हैं, सबसे पहला माध्यम गूगल से @googleadsense के माध्यम से दुसरा मार्किट से सीधे तौर पर @ads उठाकर तीसरा माध्यम है पि आर का पि आर आसान भासा मे खबर छापने के लिए पैसो का लेना देना जिसको हम येलो जर्नलिज्म भी कहते हैं और एक रोचक और चोचक तथ्य यह भी है की येलो जर्नलिज्म के लिए एक पत्रकार को अवार्ड भी मिल चुका है ।
ये तो हो गई की पैसा आएगा कहाँ से ! लेकिन फिर इन माध्यमों से पैसा लाने के लिए आपके पास व्यूअर शिप भी तो होना चाहिए मतलब दर्शक होंगे तब तो कोई आपको कोई पैसा देगा !
दर्शक कहाँ से आते हैं ! पहला जो रास्ता है वो है कंटेंट का, बेहतर कंटेंट बनाइये और धीरे धीरे समय के साथ आपको लोग पसंद करेंगे फिर आपके वीडियो वायरल होंगे फिर आपको गूगल से पैसा भी आने लगेगा मगर यह सब होने मे समय लगता है और पैसा हमे आज ही चाहिए क्योंकि ऑफिस का खर्च वेबसाइट का खर्च पत्रकारों का खर्च एक डिजिटल मीडिआ संस्थान खड़ा करना चैलेंजिंग तो है |
उदहारण के लिए बिहार के कुछ डिजिटल चैनल और वेब पोर्टल को ले लेते हैं @newshaat @livecities @firstbiharjharkhand और भी कुछ छूट भैये वेब पोर्टल न्यूज़ मिल जायेंगे जो किसी जिला के नाम से अपना वेब पोर्टल चलाते हैं जैसे उदाहरण के लिए नाम लेना उचित होगा क्या ! अरे छोड़िये डरकर पत्रकारिता थोड़े ही होती है तो चलिए नाम लेते हैं @muzffarpur @samastipur और भी न जाने कितने कस्बो और जिले के नाम पर वेब पोर्टल खुल गए हैं और चल भी रहें हैं मगर कैसे ? इन सबके पास ऐड कहाँ से आता है ? गूगल से कमाई का अगर ब्योरा इन सबसे मांग दिया जाए तो इनके हाँथ पाँव फूल जाएंगे हाल ही मे आपने सूना होगा दैनिक भास्कर समूह पर आयकर की रेड, मिला कुछ ? मुझे पता नहीं आपको पता है तो कमेंट मे बताइयेगा ।
अब आते हैं हैं मुद्दे पर की ये लोग करते क्या हैं और इनका रेवेनुए मॉडल है क्या ? तो सबसे पहले शुरुआत मे हमने जिन वेब पोर्टल का नाम लिया @newshaat इसके सम्पादक पत्रकार हैं “कन्हैया भेलारी” बुजुर्ग है इसलिए इनको पुराना रववेनुए मॉडल भाता है, कुछ दिनों पहले एक सवाल पर इन्होने मुझे ब्लॉक ही कर दिया क्योंकि उत्तर नहीं था और सत्य करवा होता हैं तो इन जैसे लोगो के पास अच्छे कांटेक्ट और पोलिटिकल कनेक्शन भी होता है, ये पहले दिन से कुछ ना कुछ टिकरम भिड़ा कर पैसो का जुगाड़ कर लेते हैं जैसे नेता जी मंत्री जी कोई बड़ा व्यापारी स्कूल वाला कॉलेज वाला और अन्य सभी तो इनके पास होते ही हैं फिर पैसा आ गया अब सैलरी की समस्या खत्म लेकिन अभी भी एक समस्या है बढियाँ कंटेंट कहाँ से लाएंगे ! तो जो पैसा मिला उससे ये खुद को advertise करते हैं @googleads और फेसबुक एड्स के माध्यम से आसान भासा मे अपनी खबरों को आप तक जबरदस्ती पहुंचाने के लिए ये लोग गूगल और फेसबुक को पैसा देते हैं आजकल और भी कई प्लेटफॉर्म्स हैं जिनसे आप व्यूज भी खरीद सकते हैं ।
@ads चलाकर ये व्यूज लाते हैं फिर अपने क्लाइंट्स को बोलते हैं देखिये मेरा इतना विएवरशिप है, इतना सब्सक्राइबर है हमारे चैनल पर @ad दीजिये व्यापारी भोला होता है उसको कहाँ है इन बातो की समझ की आर्गेनिक क्या और इन आर्गेनिक क्या ? अब आर्गेनिक व्यू क्या होता है ? आसान भाषा मे खेती किसान करता है लेकिन आजकल आर्गेनिक खेती का आप लोगो ने नाम सूना होगा बिना खाद उड़िया पोटास दवाई वगैरह ये सब डालने से पैदावार तो अच्छी होती है इसी को कहते हैं इनऑर्गेनिक, लेकिन यह सेहत के लिए हानिकारक होता है, इसके मुकाबले आर्गेनिक खेती मे उतना पैदावार नहीं लेकिन यह सेहतमंद होता है ।
ठीक उसी तरह से वीडियो, आर्टिकल की भी रिच पैसा और शेयरिंग के माध्यम से बढ़ाई जाती है हालंकि शेयरिंग को भी आर्गेनिक ही कहेंगे लेकिन जब जरूरत से ज्यादा शेयर उसके खुद के एम्प्लोयी ही कर दे फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फिर भी कंटेंट का ना चलना, कभी कभी फेसबुक ज्यादा शेयर करने पर (एक ही यूजर के द्वारा) वो आपको शेयरिंग करने से यह कहकर रोक देता है की आप फिशिंग कर रहें है एक व्यक्ति 200 बार किसी कंटेंट को अगर शेयर करे तो उसका अकाउंट ब्लॉक कर देता है फेसबुक। क्योंकि ऐसा करना भी इनऑर्गेनिक है और इनऑर्गेनिक कर भी रहें हैं और फेसबुक को पैसा भी आप नहीं दे रहें,
इससे फेसबुक की एड्स पालिसी भी प्रभावित होती है । इनऑर्गेनिक व्यूज दिखाकर ये पैसा लेते हैं विज्ञानपदातो से उसके बाद धीरे धीरे इनका जब रोज का चेहरा आप देखने लगते हैं तो ये धीरे धीरे चलने लगते हैं @livecities और अन्य का भी अमूमन यही फॉर्मूला है अगर आपको झूठ लगता है तो इनका @google और फेसबुक से कमाई का ब्योरा मांग लीजिये सच बाहर आ जाएगा ।
अब आते हैं छूट भैया डिजिटल मीडिया जैसे आरती भारती और भी है जिनको न बोलने आता है न सुनंने, चिलाते रहते हैं फिर भी व्यूज तो आता है तो साहेब ये लोग पहले गूगल को पैसा देते हैं इन्वेस्टमेंट के तौर पर मान लीजिये आपको एक बिजनेस करना है तो कम से कम कितना निवेश करेंगे 5 लाख , बस यही पैसा आपको सही तरह से सोशल मीडिया और गूगल को देना है, बस हो गए आप पत्रकार 1 मिलियन व्यूज वाले फिर क्या है आपको एड्स भी लोकल मार्किट से उठेगा मान लिया जाए एक @ad का आप 10 हजार लिए कुछ मत कीजिये बस फेसबुक एड्स और गूगल एड्स को 5 हाजर दे दीजिये, 5 हजार अपने पॉकेट मे रखिये अब यही आकड़ा बढ़ कर 50 लाख हो जाए तो 20 लाख खर्च कीजिये ऐड पर अरे आपको कुछ नहीं भी आता होगा फिर भी विज्ञापन देने वाला आपसे खुस ही रहेगा ।
अब आते हैं पि आर पर तो किसी का इंटरव्यू लीजिये बड़े आदमी का, वो आपको पैसा देगा इंटरव्यू के नाम पर इसी को कहते हैं पि आर, पैसा देकर खबर छपवाना अपना महिमामंडन करवाना, अब लोग जब उसे नहीं देखेंगे तो फिर वो आदमी आपको टोकेगा की “महराज पैसा भी ले लिए आपके न्यूज़ मे आने का हमको कोई फायदा नहीं हुआ” फिर वो मीडिया संस्थान क्या करती है ! कुछ नहीं फिर से गूगल बाबा आ जाते हैं मदद करने आजकल एक और संस्था का उदय हुआ है “GROWTH X” ये तो बस कमाल ही कर देती हैं आपसे पैसा लेती है और आपको फेक follower सब्सक्राइबर भी दे देती है, लाइक्स व्यूज कमेंट तक सेल मे मिलता है ।
ऐसे मे क्या करे विज्ञापन देनेवाला ?
सिर्फ संस्थान से गूगल के कमाई का डाटा मांग लीजिये फेसबुक और यूट्यूब स्टूडियो मे आर्गेनिक और इनऑर्गेनिक सब दिख जाएगा लेकिन यहाँ भी घपला है अब घपला क्या है ? तो आइये समझते यूट्यूब वीडियो को लोग फेसबुक पर प्रमोट कर देते हैं और फेसबुक को AdSense के माध्यम से फिर भी ये कुछ आइडिया विज्ञापन देने वाले देख ले , फेसबुक और यूट्यूब की कमाई फेसबुक और गूगल से कितनी हुई यही आपको व्यूज असली और नकली की पहचान करवा देगा , ये सब पढ़कर आपको लगेगा की कल से हम भी न्यूज़ चैनल खोल दे क्या ? तो साहेब ये भी करना इतना आसान नहीं दिन भर मे 50 खबर भी आप पढ़ नहीं पाते होंगे फिर बनाएंगे कैसे ?
मन और लगन होना चाहिए, पैसा आये या ना आये, काम तो यही करेंगे चाहे किडनी बेचनी पड़े, ये वाला ऐटिटूड और इतना दम खम है तो आइये मैदान मे रोका किसने हैं पार्टिसिपेटीव जर्नलिज्म का दौर है ।
वही इसी दौर मे कुछ लोगो ने अच्छे कंटेंट भी बनाये जैसे @thelallantop @dhruvrathee @thewire अभी हाल ही मे @thelallantop से अलग हुए अंशुमान जी ने भी अपना खुद का प्लेटफार्म बहुत कम दिनों मे खड़ा किया @moneyconrol के नाम से आर्थिक मामलो के लिए आप इसे यूट्यूब पर सर्च कर सकते हैं , वही बहुत से क्रिएटर अपने क्षेत्र मे न्यूज़ के अलावा जैसे कॉमेडी और एंटरटेनमेंट :- @carryminati @bhubanbam @amitbhadana @asishchanchlani @chotudada और भी कई सारे लोग है कुछ तो एंटरटेनमेंट सेक्शन मे ब्रांड की तरह से भी है, कुकिंग से लेकर टेक्नोलॉजी हर फील्ड मे लोगो ने बेहतर काम किया और नाम कमाया, समझ मे ये नहीं आया की कच्चा बादाम क्या था या फिर बचपन का प्यार क्या था !
मगर कुल मिलाकर टीवी रेडियो और अखबार जिस तरह से पि आर और बाजारीकरण के दौर मे खुद को सच दिखाने से रोक रहें उसी तरह का हाल कहीं सोशल मीडिया न्यूज़ के साथ तो नहीं होने वाला ! बहरहाल आप क्या सोचते हैं इस बारे मे हमे कमेंट सेक्शन मे जरूर बातये शुभ रात्रि और अगर आप ये खबर दिन मे पढ़ रहें हो तो आपका दिन शुभ हो चलते हैं सलाम नमस्ते टाटा
नोट :- यह सब काल्पनिक है इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नही अगर ऐसा हो तो यह मात्र एक संयोग है ।