आत्मसम्मान आधारित जीवन कौशल कार्यक्रम के तहत 386 मास्टर ट्रेनर्स, 11000 शिक्षकों द्वारा बिहार के 13 जिलों में किशोर लड़के-लडकियों का होगा सशक्तीकरण
पटना, 19 अप्रैल: आत्मसम्मान की कमी, रंग-रूप एवं शारीरिक बनावट को लेकर उत्पन्न हीन भावना, लैंगिक रूढ़िवादिता आदि ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जो किशोर-किशोरियों को कई तरह से बाधित कर रहे हैं। जहां एक ओर वे अवसाद का शिकार हो रहे हैं, वहीं उनकी पढाई-लिखाई और करियर भी बुरी तरह से प्रभावित होने के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। टीनएजर्स से जुड़े इन मुद्दों को हल करने के लिए, बिहार सहित 8 राज्यों में यूनिसेफ इंडिया द्वारा ‘पॉजिटिव सेल्फ-एस्टीम एंड बॉडी कॉन्फिडेंस’ पहल के माध्यम से किशोर-किशोरियों को सशक्त बनाने का कार्य शुरू किया गया है। इस पहल के अंतर्गत बिहार के 13 जिलों के 386 मास्टर ट्रेनर्स (एमटी) समेत 11,000 शिक्षक-शिक्षिकाओं का प्रशिक्षण शामिल है।
इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि बिहार कक्षा छह से लेकर आठ तक के किशोर लड़कों और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए ‘आत्मसम्मान-आधारित जीवन कौशल कार्यक्रम’ के तहत शिक्षकों को सुपर मास्टर ट्रेनर्स के रूप में प्रशिक्षण देने वाला पहला राज्य बन गया है। पटना में प्रशिक्षण के पहले बैच के उद्घाटन सत्र में यूनिसेफ बिहार की शिक्षा विशेषज्ञ पुष्पा जोशी ने कहा कि इस साल जून तक 13 जिलों के 386 चयनित शिक्षकों को 7 बैचों में एमटी के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। पहले बैच का प्रशिक्षण दिल्ली स्थित ‘यंग लाइव्स इंडिया’ संगठन के विशेषज्ञों द्वारा दिया जा रहा है।
बीईपीसी और यूनिसेफ की संयुक्त पहल
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपीसी) और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से एससीईआरटी, पटना में आयोजित इस 4 दिवसीय प्रशिक्षण के तहत, 13 जिलों के 52 शिक्षकों (प्रत्येक 1 जिले से 4) को प्रमुख संसाधन व्यक्तियों के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा, जो अगले छह बैचों में उन्हीं जिलों से शेष 334 शिक्षकों को एमटी के रूप में प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद, इन मास्टर ट्रेनर्स द्वारा स्कूलों में कार्यक्रम शुरू करने के लिए 13 जिलों के 11,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
प्रशिक्षण मॉड्यूल की सराहना करते हुए विजय कुमार हिमांशु, निदेशक, एससीईआरटी, पटना ने विश्वास जताया कि पहले बैच में ट्रेनिंग प्राप्त करने वाले मास्टर प्रशिक्षक अगले बैचों को प्रभावी तरीके से प्रशिक्षित करने में सक्षम होंगे ताकि इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूरी तरह से प्राप्त किया जा सके और किशोर- किशोरियां इसका समुचित लाभ उठा सकें। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शिक्षकों को स्कूल स्तर पर किशोर लड़कियों और लड़कों के बीच सकारात्मक दृष्टिकोण, जीवन कौशल और समानता के दृष्टिकोण को विकसित करने हेतु खुद को रोल मॉडल के रूप में पेश करना चाहिए।
लैंगिक रूढ़ी, शारीरिक बनावट, रंग-रूप आदि के प्रति संवेदीकरण
इस पहल के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए, बीईपीसी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी इम्तियाज आलम ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य किशोर लड़कों और लड़कियों को 6 महत्वपूर्ण विषयों जैसे लैंगिक रूढ़िवादिता, आदर्श रूप, मीडिया में आदर्श रूप, रूप-रंग की तुलना को समझना, शारीरिक बनावट से जुड़ी हानिकारक बातों को संबोधित करना और चलिए बदलाव लाएं के बारे में संवेदनशील बनाना है। ये सारे टॉपिक ‘आधाफुल सीरीज़’ की 6 कॉमिक पुस्तकों में शामिल हैं। इन कॉमिक पुस्तकों को यूनिसेफ द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मनोवैज्ञानिकों और बॉडी इमेज विशेषज्ञों के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया है। शरीर की छवि पर शोध निष्कर्षों को भी इनमें शामिल किया गया है ताकि बच्चों को आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान के बारे में प्रोत्साहित किया जा सके।
छठी से आठवीं कक्षा तक के 13 जिलों के 10,050 स्कूलों को दस कॉमिक पुस्तकों का एक सेट प्रदान किया जाएगा और प्रत्येक स्कूल से एक नोडल शिक्षक को जिला/ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। सभी नोडल शिक्षकों को टीचर्स हैंडबुक प्रदान की जाएगी और वे इन विषयों पर किशोर बच्चे-बच्चियों को संवेदनशील बनाने के लिए जिम्मेदार होंगे। ट्रेनिंग सत्र के दौरान सभी 6 विषयों पर विस्तृत चर्चा के अलावा, प्रतिभागी सभी 6 कॉमिक पुस्तकों का भी वाचन करेंगे। विषयों की गहरी समझ सुनिश्चित करने के लिए मॉक सेशन भी आयोजित किए जाएंगे।
कौन-कौन ज़िले हैं शामिल
अररिया, दरभंगा, सहरसा, बेगूसराय, भागलपुर, सारण वैशाली, पूर्णिया, सीतामढ़ी, शेख़पुरा, गया, नालंदा, पटना
‘एडोलसेंट प्रोग्राम फ़ॉर गर्ल्स’ से मिला फीडबैक महत्वपूर्ण
इस पहल की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए बीईपीसी के राज्य कार्यक्रम अधिकारी इम्तियाज आलम ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाली 9वीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए चलाए जा रहे ‘एडोलसेंट प्रोग्राम फ़ॉर गर्ल्स’ जो मुख्य रूप से मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर केंद्रित है, के दौरान प्राप्त फीडबैक की अहम भूमिका है। मास्टर प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित नोडल शिक्षकों के साथ किशोर लड़कों और लड़कियों की नियमित बातचीत से पता चला कि बच्चे इस तरह के मुद्दों पर पहले की उम्र में, यानी किशोरावस्था की शुरुआत से ही संवेदीकरण के पक्ष में हैं। बीईपीसी और यूनिसेफ की टीम के दौरों ने भी लक्ष्य समूह की ओर से इस रुझान को महसूस किया गया ताकि बच्चों के आत्म-सम्मान और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार के साथ-साथ ड्रॉप-आउट दर को रोका जा सके।
उन्होंने आगे बताया कि इस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच सभी 38 जिलों के प्रत्येक ब्लॉक के 5 स्कूलों की 2642 महिला शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। 2022-23 में 1602 शिक्षकों को एमटी के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना है।
कार्यक्रम के दौरान भारत भूषण, स्टेट रिसोर्स पर्सन, बीईपीसी, बसंत सिन्हा, शिक्षा अधिकारी, यूनिसेफ बिहार और एस ए मोइन, वरिष्ठ सलाहकार, यूनिसेफ बिहार उपस्थित रहे।