प्रयागराज, 22 फरवरी 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने महा कुंभ में गंगा के पानी की शुद्धता को लेकर उठे संदेहों को खारिज करने के लिए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। सरकार ने वैज्ञानिक पद्म श्री डॉ. अजय कुमार सोनकर के शोध के हवाले से दावा किया कि गंगा का पानी पूरी तरह से स्वच्छ और रोगाणु मुक्त है।
गंगा जल की शुद्धता पर सरकार और CPCB आमने-सामने
सरकार की यह प्रतिक्रिया केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें महा कुंभ के दौरान गंगा जल की जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) के बढ़ते स्तर को लेकर सवाल उठाए गए थे।
CPCB की रिपोर्ट के मुताबिक, 13 जनवरी को संगम के जल का BOD स्तर 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो स्नान योग्य जल के मानकों से अधिक है। यह स्तर 14 और 15 जनवरी को घटकर 1 मिलीग्राम प्रति लीटर तक आया, लेकिन 24 जनवरी को फिर से 4.08 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया।
वैज्ञानिक दावे: गंगा जल में स्व-शुद्धिकरण की क्षमता
उत्तर प्रदेश सरकार की विज्ञप्ति में दावा किया गया कि डॉ. सोनकर ने पांच प्रमुख स्नान घाटों से जल के नमूने लिए और प्रयोगशाला परीक्षण में पाया कि—
✅ गंगा जल का pH स्तर 8.4 से 8.6 के बीच है, जो सामान्य से बेहतर है।
✅ जल में कोई हानिकारक बैक्टीरिया नहीं मिला और 14 घंटे के ऊष्मायन के बाद भी बैक्टीरिया विकसित नहीं हुए।
✅ गंगा जल में 1,100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज (प्राकृतिक वायरस) मौजूद हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं।
✅ 58 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद, जल की स्वच्छता बनी रही।
CPCB की रिपोर्ट बनाम सरकारी दावे
CPCB ने 3 फरवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को दी गई रिपोर्ट में कहा कि 12-13 जनवरी को प्रयागराज के अधिकांश स्थानों पर गंगा जल स्नान योग्य मानकों को पूरा नहीं कर रहा था।
हालांकि, सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि—
📌 गंगा जल में कोई गंध या प्रदूषण के संकेत नहीं हैं।
📌 जो लोग जल की गुणवत्ता पर संदेह कर रहे हैं, वे खुद घाटों पर जाएं और नमूने इकट्ठा करके प्रयोगशाला परीक्षण करें।
📌 अगर गंगा जल वास्तव में प्रदूषित होता, तो लाखों श्रद्धालुओं के स्नान के बाद महामारी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती।
विशेषज्ञों की राय
बीबीएयू लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता का कहना है कि गंगा का जल स्थिर न होकर लगातार बहता रहता है, इसलिए इसकी गुणवत्ता स्थान और समय के अनुसार बदल सकती है।
अब सवाल यह है कि क्या यूपी सरकार के दावे CPCB की रिपोर्ट को गलत साबित कर सकते हैं? गंगा की पवित्रता पर वैज्ञानिक और सरकारी दावों के बीच यह बहस जारी है।