पटना, 12 जून: “विश्व बाल श्रम निषेध दिवस” के अवसर पर श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से पटना के ज्ञान भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया.
मुख्य अतिथि तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री, बिहार सरकार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य से बाल श्रम के उन्मूलन हेतु सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. इस दिशा में हमें निरंतर यूनिसेफ का सहयोग मिलता रहा है. सामजिक-आर्थिक पिछड़ापन जो बाल मज़दूरी को बढ़ावा देने में मुख्य कारक के तौर पर काम करता है, उसे ख़त्म करना अत्यंत आवश्यक है. इस दिशा में श्रम संसाधन विभाग एवं समाज कल्याण विभाग ने जागरूकता फैलाने के अलावा कई कार्यक्रम चलाए हैं जिससे बाल श्रम में गिरावट आई है. लेकिन अभी भी काफ़ी कुछ किए जाने की ज़रूरत है. उन्होंने बाल मज़दूरी के चंगुल से बच्चे-बच्चियों को मुक्त कराने में सरकार के साथ-साथ जीविका दीदियों, पंचायती राज संस्थाओं एवं सामाजिक संगठनों की भी अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए उनसे मिलजुल कर पूरी सक्रियता व संवेदनशीलता के साथ कार्य करने का आह्वान किया.
जिवेश कुमार, मंत्री, श्रम संसाधन विभाग ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में कहा कि यह हर्ष का विषय है कि ई-श्रम पोर्टल पर निबंधन के मामले में हम यूपी के बाद दूसरे नंबर पर हैं. उन्होंने बाल श्रम को ख़त्म करने के लिए अभिभावकों की काउंसलिंग के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर सक्रियता पर जोर दिया. साथ ही, उन्होंने आह्वान किया कि अपने आसपास बाल श्रम संबंधी गतिविधियों के बारे में 1098 पर रिपोर्ट करें अथवा अपने क्षेत्र के श्रम आयुक्त से संपर्क करें. सरकार द्वारा नए उद्योग स्थापित करने एवं स्कूल जाने योग्य सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में भी तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं जिससे बिहार को बाल श्रम मुक्त बनाने में बहुत मदद मिलेगी. आगे उन्होंने जानकारी दी कि विभिन्न विभागों के समेकित प्रयास से अब तक 1963 बच्चों को बाल श्रम जैसे अमानवीय कुचक्र से मुक्त कराया गया है.
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री एवं मंत्री, श्रम संसाधन विभाग द्वारा श्रम संसाधन विभाग अंतर्गत संचालित “बिहार भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड” का ऑनलाइन पोर्टल लांच किया गया. इसके माध्यम से प्रदेश के कामगार देश के किसी भी कोने से अपनी सुविधानुसार निबंधन, नवीकरण करने तथा योजनाओं का लाभ लेने हेतु ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा उनके द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम (CLTS) के अपडेटेड संस्करण एवं धावा दल के अनुश्रवण हेतु ऐप का विमोचन भी किया गया. साथ ही, उप मुख्यमंत्री द्वारा बाल मज़दूरी से विमुक्त किए गए बच्चों को मुख्यमंत्री राहत कोष से अनुदान राशि भी वितरित की गई. बाल श्रम निषेध विषय पर यूनिसेफ एवं महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा संयुक्त रूप से 22 जिलों में चलाए जा रहे उड़ान कार्यक्रम के तहत किशोर-किशोरियों के बीच आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया.
सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए अरविन्द कुमार चौधरी, प्रधान सचिव, श्रम संसाधन विभाग ने कहा कि हर साल 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा साल 2002 में की गई. उन्होंने कहा कि इस बार राज्य स्तरीय कार्यक्रम के साथ-साथ हमने सभी जिलों में भी कार्यक्रमों का आयोजन किया है ताकि सामुदायिक स्तर पर लोगों को बाल श्रम के बारे में बेहतर ढंग से जागरूक किया जा सके. उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों से आई जीविका दीदियों से अपने ग्राम संगठनों के माध्यम से बाल श्रम को ख़त्म करने के लिए पूरी सक्रियता से कार्य करने का आह्वान किया.
प्रेम सिंह मीणा, सचिव, समाज कल्याण विभाग ने विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी दी और कहा कि अन्य विभागों के साथ परस्पर सहयोग कर बच्चे-बच्चियों को इन योजनाओं का लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. बीते 10 वर्षों में बाल तस्करी के स्वरूप में भी काफ़ी बदलाव आया है जिसे देखते हुए हमने भी रणनीति में बदलाव करते हुए धावा दल एवं अन्य एजेंसियों की मदद से बाल मज़दूरी में लिप्त बच्चों को विमुक्त कराने के लिए कई विशेष अभियान चलाए हैं. राज्य स्तर से लेकर निचले स्तर पर चाइल्ड प्रोटेक्शन कमिटियों का गठन किया जा चुका है. लगभग 6 हज़ार पंचायतों एवं 84 हज़ार वार्डों में ये समितियां गठित हो चुकी हैं.
यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख, नफ़ीसा बिन्ते शफ़ीक़ ने बाल श्रम को हतोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार के विभिन्न योजनाओं की सराहना की. लेकिन देश भर में बाल श्रम के संदर्भ में बिहार के तीसरे स्थान पर होने पर चिंता भी जतायी. उन्होंने यूनिसेफ एवं अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के एक ताज़ा अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि “वैश्विक स्तर पर गरीबी में एक प्रतिशत की वृद्धि से बाल मज़दूरी में 0.7 की वृद्धि दर्ज़ की जाती है”.
उपलब्ध डाटा से किशोर बाल श्रमिकों की निश्चित संख्या ठीक- ठीक जानकारी नहीं मिलती. साथ ही, आंकड़े बताते हैं कि बहुत कम लड़कियाँ बाल श्रम में लिप्त हैं. लेकिन इसके उलट सच्चाई यह है कि बड़ी संख्या में लड़कियाँ घरेलु कामगार के रूप में कार्यरत हैं और देह व्यापार में भी धकेली जाती हैं. कोविड महामारी के दौरान स्कूलों के बंद रहने एवं ग़रीब तबके से आने वाले अधिकांश लोगों का रोज़गार छिनने से बाल तस्करी, बाल विवाह एवं बाल श्रम जैसी समस्याओं में इज़ाफ़ा हुआ है. इसे देखते हुए बिहार में बाल श्रम उन्मूलन में तेज़ी लाने के लिए सभी विभागों के बीच को-आर्डिनेशन अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने उम्मीद जताई कि शिक्षा के अधिकार का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन कर एवं बच्चों को सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों से जोड़कर बिहार के 4.7 करोड़ बच्चे-बच्चियों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित किया जा सकेगा.
अनिल किशोर यादव, पुलिस अपर महानिदेशक, कमज़ोर वर्ग ने कहा कि जस्टिस डिलीवरी सिस्टम को और सशक्त बनाने की ज़रूरत है. साथ ही, बाल मज़दूरी को ख़त्म करने के लिए प्रयासरत सभी अधिकारियों को प्रतिबद्धता के अलावा संवेदनशीलता अपनाने की आवश्यकता है.
बिहार राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा प्रमिला कुमारी ने कहा कि आयोग द्वारा शिक्षा का अधिकार को सख्ती से लागू करने से लेकर बच्चों के बेहतर पोषण, स्वस्थ्य एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने संबंधी प्रयासों की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने पिछले महीने राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग के साथ हुई बैठक का हवाला देते हुए बिहार में बाल श्रम के उन्मूलन के लिए विभिन्न विभागों के बीच समन्वय के बारे में लिए गए निर्णय के बारे में भी बताया.
इस अवसर पर श्रम संसाधन विभाग द्वारा बाल श्रम पर निर्मित एक विडियो फ़िल्म दिखाई गई. किलकारी बाल भवन के बच्चों द्वारा ‘ताना बाना टूट न जाए’ नामक एक नाट्य प्रस्तुति के ज़रिए बाल श्रम की विभीषिका को प्रभावी ढंग से दर्शाया गया.
बिहार की श्रम आयुक्त सुश्री रंजिता ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस मौके पर श्रम संसाधन विभाग के विशेष सचिव, आलोक कुमार, नियोजन एवं प्रशिक्षण निदेशक, राजीव कुमार व अन्य अधिकारियों समेत यूनिसेफ बिहार के प्रोग्राम मैनेजर शिवेंद्र पांड्या, संचार विशेषज्ञ, निपुण गुप्ता, बाल सुरक्षा अधिकारी, गार्गी साहा एवं अन्य पदाधिकारीगण, जीविका दीदियाँ, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधिगण एवं मीडियाकर्मी उपस्थित रहे.