मुंबई, 21 फरवरी 2025: जब स्ट्रेंजर एंड संस जिन ने 2020 में लंदन इंटरनेशनल वाइन एंड स्पिरिट प्रतियोगिता (IWSC) में गोल्ड आउटस्टैंडिंग मेडल जीता, तो यह स्पष्ट हो गया था कि भारतीय आत्माएं (स्पिरिट्स) अब सिर्फ हाशिए पर नहीं थीं। भारतीय जिन क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी, और इसके साथ भारतीय ब्रांडों की वैश्विक पहचान भी मजबूत हुई।
अब, पांच साल बाद, यही क्रांति भारतीय व्हिस्की बाजार में दिखाई दे रही है। थर्ड आई डिस्टिलरी, जो स्ट्रेंजर एंड संस जिन के पीछे की ताकत है, अब भारतीय व्हिस्की बाजार में अपनी नई पेशकश ‘दूसरे’ के साथ उतर रही है।
भारतीय व्हिस्की का बाजार और बदलाव
📌 भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की उपभोक्ता है।
📌 2025 तक भारत का व्हिस्की बाजार 3.2 बिलियन लीटर तक पहुंचने की उम्मीद।
📌 अनुमानित राजस्व $17.5 बिलियन (₹1.5 ट्रिलियन) तक होने की संभावना।
परंपरागत रूप से, भारतीय व्हिस्की बाजार स्कॉच-प्रेरित ब्रांडों के कब्जे में रहा है। लेकिन अब, एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां घरेलू डिस्टिलरी असली भारतीय पहचान वाली व्हिस्की पर जोर दे रही हैं।
‘दूसरे’ व्हिस्की की खासियत
➡️ गोवा में डिस्टिल और भारतीय जलवायु में परिपक्व।
➡️ पूर्व-बोरबॉन बैरल में ‘सोलेरा प्रक्रिया’ से मिश्रित, जो गहराई और जटिलता को बढ़ाता है।
➡️ स्कॉच की नकल नहीं, बल्कि भारतीय स्वाद और पहचान को दर्शाती व्हिस्की।
थर्ड आई डिस्टिलरी के सीईओ राहुल मेहरा कहते हैं,
“हम एक भारतीय स्कॉच बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हम एक ऐसी व्हिस्की बना रहे हैं जो वास्तव में भारत का प्रतिनिधित्व करती है।”
भारतीय स्वाद और नई पहचान
भारत की गर्म जलवायु में व्हिस्की की परिपक्वता तेजी से होती है। जहां स्कॉटलैंड में एक व्हिस्की को 12 साल लगते हैं, वहीं भारत में यह सिर्फ 4-5 साल में तैयार हो जाती है।
“हमारी जलवायु में लकड़ी के साथ बातचीत अलग होती है, जिससे एक अनूठा स्वाद विकसित होता है। इसमें मिट्टी और समुद्री हवा का असर साफ झलकता है। हल्का धुआं और गहराई इसे पूर्ण व्हिस्की का अहसास देते हैं।” – राहुल मेहरा
बाजार में नई चुनौती और संभावनाएं
➡️ भारतीय एकल माल्ट (Single Malts) को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है, लेकिन मिश्रित भारतीय व्हिस्की अभी भी ‘सस्ते विकल्प’ के रूप में देखी जाती है।
➡️ उपभोक्ता अब विदेशी ब्रांड्स से ज्यादा ‘होमग्रोन’ (घरेलू) ब्रांड्स में रुचि दिखा रहे हैं।
➡️ स्कॉच की नकल करने के बजाय, भारतीय व्हिस्की अपनी अनूठी पहचान बनाने की ओर बढ़ रही है।
‘दूसरे’ की लॉन्चिंग और आगे की योजना
📍 शुरुआत में गोवा और मुंबई में लॉन्च।
📍 फिर हरियाणा और कर्नाटक में विस्तार।
📍 उपभोक्ताओं के लिए पारंपरिक ‘व्हिस्की छवि’ को बदलने पर फोकस।
राहुल मेहरा कहते हैं,
“सभी व्हिस्की पीने वाले शतरंज नहीं खेलते। यह समय व्हिस्की को पारंपरिक छवि से बाहर निकालने और इसे खुलकर एन्जॉय करने का है।”
अगर भारतीय जिन क्रांति सफल रही, तो भारतीय व्हिस्की क्रांति अगली बड़ी लहर हो सकती है।
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