नई दिल्ली, 25 अक्टूबर, 2024: मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने ‘भारत में जीवित समुद्री शैवाल के आयात के दिशानिर्देश’ अधिसूचित किए हैं, जिससे भारत के तटीय क्षेत्रों में समुद्री शैवाल उद्योग को बढ़ावा देने का रास्ता प्रशस्त हुआ है। यह पहल तटीय गाँवों में रोजगार सृजन और मछुआरों के समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन दिशानिर्देशों के तहत पर्यावरण संरक्षण और जैव-सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।

दिशानिर्देशों के अनुसार, गुणवत्ता युक्त बीज सामग्री या जर्मप्लाज्म के आयात को सुगम बनाया जाएगा, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले समुद्री शैवाल के बीज मिल सकें। वर्तमान में भारत में समुद्री शैवाल उद्यमों के विकास में गुणवत्तायुक्त बीज की कमी एक बड़ी चुनौती है, विशेष रूप से कप्पाफाइकस जैसी व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों के लिए।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY), जो सरकार की प्रमुख योजना है, के अंतर्गत समुद्री शैवाल क्षेत्र को विकसित करने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं, जिनमें तमिलनाडु में 127.7 करोड़ रुपये की लागत से एक बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क का निर्माण शामिल है। इस योजना का उद्देश्य 2025 तक देश में समुद्री शैवाल उत्पादन को 1.12 मिलियन टन तक पहुँचाना है।

नए दिशानिर्देशों में समुद्री शैवाल आयात प्रक्रिया के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा दी गई है। इनमें आयात के लिए पारदर्शी और उत्तरदायी प्रणाली, सख्त संगरोध प्रक्रियाएं, जैव-सुरक्षा जोखिम का आकलन और आयात पश्चात निगरानी जैसे प्रावधान शामिल हैं।

मंत्रालय के अनुसार, इन दिशानिर्देशों के माध्यम से न केवल समुद्री शैवाल की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि शैवाल की विभिन्न प्रजातियों के प्रसंस्करण और मूल्य-वर्धन के क्षेत्र में भी नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का स्रोत बनेगी और भारत के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

आयात की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, आवेदन की स्वीकृति के बाद चार सप्ताह के भीतर आयात परमिट जारी किया जाएगा। विभाग ने शोधकर्ताओं, उद्यमियों, और किसानों से इस अवसर का लाभ उठाने और समुद्री शैवाल उद्योग के विकास में योगदान देने का आह्वान किया है।

संक्षेप में, ये नए दिशानिर्देश भारत के समुद्री शैवाल उद्योग को नए स्तर पर पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे, जिससे पर्यावरणीय संतुलन के साथ आर्थिक उन्नति भी संभव होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *