कोलकाता।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार (21 फरवरी, 2025) को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर बंगाली भाषा को “शास्त्रीय भाषा” बताते हुए इस पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह दुनिया की पाँचवीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और इसे संरक्षित एवं समृद्ध बनाए रखना हर बंगाली का कर्तव्य है।
मुख्यमंत्री ने कोलकाता के देशप्रिया पार्क में आयोजित कार्यक्रम में बंगाली में “शांति” नामक एक कविता का पाठ किया और इस भाषा के इतिहास एवं सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया।
बांग्लादेश का उल्लेख नहीं, पर ‘भाषा शहीदों’ को किया नमन
हालाँकि, अपने भाषण में ममता बनर्जी ने बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति का कोई जिक्र नहीं किया। लेकिन इससे पहले, उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर ढाका में 1952 के भाषा आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने लिखा,
“आज है भाशा डिबस, जब ढाका में लोगों ने बंगाली को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। ‘भाषा शहीदों’ को मेरा सर्वोच्च सम्मान। हमें सभी भाषाओं का सम्मान और प्रेम करना चाहिए।”
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है, जो बंगाली भाषा आंदोलन की याद में बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के बीच एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संबंध स्थापित करता है।
बंगाली को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिलाने में सरकार की मेहनत
ममता बनर्जी ने इस कार्यक्रम में बताया कि उनकी सरकार ने बंगाली भाषा को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की।
उन्होंने कहा,
“हमने अथक प्रयास किए और बंगाली की प्राचीनता को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए। हमारे शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने इसमें अहम भूमिका निभाई। अंततः हमें सफलता मिली और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ।”
गौरतलब है कि अक्टूबर 2024 में केंद्र सरकार ने बंगाली, मराठी, पाली, असमिया और प्राकृत को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया था।
अन्य भाषाओं के सम्मान पर भी दिया जोर
ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार बंगाली के साथ-साथ राजबंशी, उर्दू, गोरखा और ओल चिकी जैसी भाषाओं को भी बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा,
“जिसकी मातृभाषा बंगाली है, उसके लिए इस भाषा के प्रति भावनात्मक लगाव होना स्वाभाविक है। लेकिन हमें अन्य भाषाओं के लिए भी उतना ही सम्मान रखना चाहिए। मैं इस अवसर पर हर भाषा को श्रद्धांजलि देती हूँ।”
गायक प्रातुल मुखोपाध्याय को श्रद्धांजलि
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित उपस्थित जनसमूह ने बंगाली भाषा के प्रसिद्ध गायक-गीतकार प्रातुल मुखोपाध्याय को भी श्रद्धांजलि दी, जिनका हाल ही में 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।
इस आयोजन में बंगाली भाषा और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया गया।