उत्तर प्रदेश के बरेली की एक स्थानीय अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि “लव जिहाद” का उद्देश्य भारत में जनसांख्यिकीय युद्ध और अंतरराष्ट्रीय साजिश के माध्यम से प्रभुत्व स्थापित करना है। यह टिप्पणी अपर जिला न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट) रवि कुमार दिवाकर ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें एक व्यक्ति को झूठी पहचान के तहत संबंध बनाने और अवैध धर्मांतरण के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
न्यायाधीश दिवाकर ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व हिंदू लड़कियों को “प्यार” के जाल में फंसाकर अवैध धर्मांतरण कर रहे हैं, और इससे भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने इसे देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए एक बड़ा खतरा बताया।
फैसला सुनाते हुए, अदालत ने 25 वर्षीय मोहम्मद अलीम को एक छात्रा के साथ बलात्कार करने और अपनी पहचान छिपाकर उसे धमकाने का दोषी पाया। आरोपी ने खुद को ‘आनंद’ बताकर पीड़िता को धोखा दिया था। अलीम को आजीवन कारावास की सजा दी गई, जबकि उसके 65 वर्षीय पिता को भी अपराध में सहयोग करने के लिए दो साल की जेल की सजा सुनाई गई।
अदालत ने “लव जिहाद” के मामलों में मनोवैज्ञानिक दबाव और प्रलोभन जैसे हथकंडों के माध्यम से धर्मांतरण की प्रक्रिया पर चिंता जताई और इसमें संभावित विदेशी फंडिंग के खतरों का भी जिक्र किया।
न्यायालय ने कहा कि अवैध धर्मांतरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने 2021 में एक विशेष कानून, उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम, लागू किया है। न्यायाधीश ने अपने आदेश की प्रतियां मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को भी भेजने का निर्देश दिया।
यह फैसला “लव जिहाद” के बढ़ते मामलों और उनके सामाजिक-धार्मिक प्रभावों पर देशभर में हो रही बहस के संदर्भ में अहम माना जा रहा है।