इस साल भी राष्ट्रीय हथकरघा दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया और देश के विभिन्न भागों में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये। इसी कड़ी में कश्मीर में भी हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग की ओर से कई कार्यक्रम आयोजित किये गये।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार भारत के हथकरघा, खादी और कपड़ा क्षेत्र को विश्व गुरु बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने अपने संबोधन में इस क्षेत्र की बदलती तस्वीर की भी चर्चा की। देखा जाये तो हाल के वर्षों में बुनकरों की समस्याओं को दूर करने और हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किये गये हैं। हथकरघा दिवस के आयोजन के माध्यम से भी इस क्षेत्र को नई संजीवनी मिली है और हस्तशिल्प उत्पादों के प्रति जागरूकता और दिलचस्पी भी बढ़ी है। इस साल भी राष्ट्रीय हथकरघा दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया और देश के विभिन्न भागों में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये। इसी कड़ी में कश्मीर में भी हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग की ओर से कई कार्यक्रम आयोजित किये गये। इस दौरान कश्मीर की समृद्ध हथकरघा विरासत को प्रदर्शित करने के लिए प्राचीन कलाकृतियों के स्टॉल भी लगाये गए।
एक निजी समाचार पत्र के संवाददाता ने इस कार्यक्रम का जायजा लिया और बुनकरों से बातचीत की। इस दौरान बुनकरों ने विभिन्न विभागीय योजनाओं के माध्यम से हथकरघा क्षेत्र को बढ़ावा देने और पश्मीना शॉल की जीआई टैगिंग आयोजित करने के लिए किये जा रहे सरकारी प्रयासों के बारे में बताया। बुनकरों ने कहा कि कश्मीर में हस्तशिल्प को संरक्षित करने और हाथ की बुनाई को बढ़ावा देने के लिए क्रांतिकारी पहलें की जा रही हैं। उन्होंने कहा, ”पिछले कई सालों से सरकार कई योजनाओं के जरिए बुनकरों की मदद कर रही है।” उन्होंने कहा, “कारीगरों और बुनकरों को प्रदर्शनियों के लिए मंच उपलब्ध कराए जाते हैं।” कार्यक्रम के दौरान, बुनकर समुदाय के बीच मुद्रा स्वीकृति पत्रों के साथ बुनकर पंजीकरण प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। इस दौरान, विभागीय योजनाओं के संबंध में जागरूकता पैदा करने के प्रयास में भाग लेने वाले बुनकरों के बीच पंपलेट भी वितरित किए गए और जेके सिंगल विंडो पोर्टल के माध्यम से बुनकरों का ऑनलाइन पंजीकरण भी किया गया।