📍 प्रयागराज | 21 फरवरी 2025 – इलाहाबाद उच्च न्यायालय का कामकाज शुक्रवार को वकीलों की हड़ताल के कारण ठप हो गया। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (HCBA) ने न्यायाधीशों की भारी कमी और प्रस्तावित अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2025 के खिलाफ विरोध करते हुए न्यायिक कार्य से दूरी बनाए रखी।
🔹 HCBA की प्रमुख मांगें
✅ इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 स्वीकृत न्यायाधीशों की जगह केवल 55 न्यायाधीश कार्यरत।
✅ लखनऊ बेंच में केवल 23 न्यायाधीश, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित।
✅ लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही – वकीलों की मांग, न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई जाए।
✅ अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2025 के प्रावधानों को वापस लिया जाए।
🔍 संशोधन विधेयक का विरोध क्यों?
🔹 वकीलों का आरोप – प्रस्तावित संशोधन अधिवक्ताओं के अधिकारों और बार एसोसिएशन की स्वायत्तता पर हमला।
🔹 “लॉ ग्रेजुएट” की परिभाषा बदलने की कोशिश – सरकार की योजना के अनुसार, 1961 के अधिवक्ता अधिनियम में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं।
🔹 सरकार ने “लॉ प्रैक्टिशनर” और “लॉ ग्रेजुएट” की नई परिभाषा देने का प्रस्ताव रखा, जिसे वकीलों ने अस्वीकार किया।
📢 HCBA अध्यक्ष अनिल तिवारी का बयान
🗣️ “न्यायाधीशों की कमी से न्याय प्रक्रिया बाधित हो रही है। हम मांग करते हैं कि स्वीकृत संख्या को तुरंत पूरा किया जाए और लंबित मामलों को प्राथमिकता से निपटाया जाए।”
⚖️ क्या कहती है सरकार?
🔹 केंद्र सरकार का कहना है कि अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन कानूनी शिक्षा और न्यायिक प्रक्रियाओं को मजबूत करेगा।
🔹 हालांकि, वकील इसे अपने अधिकारों पर हमला मानते हैं और सरकार से विधेयक वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
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