Mini Metro Live Desk : आप सबो ने सूना तो होगा की Age Is Just A Number इसी बात को साबित किया है भागलपुर बिहार के रहनेवाले श्री राधाकृष्ण चौधरी ने । राधाकृष्ण चौधरी चार भाइयो मे सबसे बड़े हैं , राधाकृष्ण चौधरी ने लॉ भी किया है भाइयो मे सबसे बड़े होने के कारण उन्हें अपना पारिवारिक व्यव्यसाय की बागडोर सम्भालिनी पड़ी जैसे की आप सब जानते हैं की भागलपुर सिल्क सिटी के नाम से मशहूर है तो ये भी स्वाभाविक है की उनका पारिवारिक व्यवसाय भी टेक्सटाइल का ही था ।
आयुर्वेद से था गहरा लगाव
वैसे तो श्री राधाकृष्ण चौधरी उर्फ़ नानजी एक लॉ ग्रेजुएट हैं, लेकिन बचपन से आयुर्वेद पढ़ने और उस पर रिसर्च करने में काफी इंट्रेस्ट रहा है।नाना जी बचपन से ही एक उत्साही शोधकर्ता और आयुर्वेद के प्रति उत्साही थे। आयुर्वेद में उनकी इतनी गहरी रुचि थी कि वे आयुर्वेद में किसी भी स्वास्थ्य समस्या का इलाज ढूंढते रहते थे। उनका मानना है कि आयुर्वेदअधिकांश स्वास्थ्य समस्याओंका स्थायी इलाज है। दिलचस्प बात यह है कि उनके पास आयुर्वेद से संबंधित 2500 से अधिक पुस्तकों का संग्रह है । उन्होंने अपने घर भागलपुर बिहार में अपने घर मे ही एक छोटी सी लाइब्रेरी भी बना रक्खी थी।
AVIMEE HERBAL की नीव तो ३० वर्ष पहले ही पर चुकी थी
30 साल पहले उनकी पत्नी शकुंतला देवी को मधुमेह का पता चला था और पैर में तेज दर्द था, नानाजी ने आयुर्वेद के अपने ज्ञान का उपयोग करने का फैसला किया नानी जी के दर्द का इलाज ढूंढने मे । उन्होंने एक चमत्कारिक मालिश तेल (ऑर्थो सीपी .) का आविष्कार किया (मालिश तेल) जिसने नानीजी को उसके पैर दर्द से राहत दिलाने में मदद की।
कुछ साल बाद उन्हें अपने बालों के झड़ने में अचानक वृद्धि का सामना करना पड़ा। वह एक बार इलाज और बालों के तेल के लिए नुस्खा खोजने के लिए फिर से आयुर्वेद की ओर देखा लेकिन, प्रभावशीलता में कुछ विसंगतियां थीं तेल बनाने के अपने पहले प्रयास के दौरान। और अपने अपने टेक्सटाइल के व्यवसाय मे व्यस्त होने के कारण , नानाजी को फॉर्मूले को संशोधित करने और सुधारने का समय नहीं मिला पाया ।
अवयस्कता बनी आविष्कार की जननी कैसे बनती है ? उनके खुद के बालो के झड़ने कारण ही आविष्कार हुआ हेयर आयल का
उनका शोध अभी जारी था। जब भी उनके पास समय होता, वे आयुर्वेद पर और अधिक किताबें पढ़ते थे घर पर जड़ी बूटियों के साथ प्रयोग। नानाजी ने दो दशक से अधिक समय बिताया और भरा उनके शोध के साथ हजारों पृष्ठ।
बेटी के झड़ते बालो से चिंतित होकर उन्होंने कर दिया कमाल
कोविड की लहर के बाद, उनकी बेटी विनीता ने अपने बालों में तेजी से झड़ने की शिकायत अपने पिता राधाकृष्णा से की । इसी बात ने नानाजी को बालों के झड़ने का उपाय गढ़ने के लिए प्रेरित किया उनकी बेटी की समस्या नानाजी के अनुसार, “बनाने के पीछे का मकसद बाल का तेल मेरी बेटी को बाल न होने के कलंक का सामना करने से बचाने के लिए था जैसे मैंने अपने गंजेपन का सामना किया।”
इसने नानाजी को अपने ज्ञान और अनुसंधान को विकसित करने में और उपयोग करने की चिंगारी दी बालों के झड़ने के लिए एक प्रभावी उपाय। नानाजी को कम ही पता था कि ज्ञान जो उन्होंने 25 वर्षों में हासिल किया था, वह एक ‘चमत्कार’ उत्पाद में परिणत होने वाला था। नानाजी ने सूक्ष्म विवरणों पर ध्यान दिया और आसपास से सामग्री मंगवाई । उन्होंने सुनिश्चित किया कि सामग्री सही जगह से आई है और वे उच्चतम गुणवत्ता के हैं। प्रसंस्करण और परीक्षण करने के बाद, तेल तैयार था । उपयोग किया गया सूत्र प्रभावी और चमत्कारिक था ।
लोगो को बांटा और इसको बेचने की शुरआत इंस्टाग्राम से की
खुद पर और अपनी बेटी पर परिणाम देखकर नानाजी ने इसे बांट दिया पारिवारिक दोस्त और संबंधियों मे । परिणामों के लिए सभी ने उनकी सराहना की। आखिरकार नानाजी और उनकी बेटी ने सिर्फ 1 मकसद जनकल्याण से इंस्टाग्राम के जरिए बिक्री शुरू की।
राधा कृष्णा चौधरी उर्फ़ नानाजी के चमत्कारिक तेल से लोगो को फायदा हुआ और नानाजी बने सुपरस्टार
जब उनकी प्रेरक कहानी सोशल मीडिया पर उनके पोती द्वारा साझा की गई , नानाजी रातोंरात सनसनी और सुपरस्टार बन गए । एक आम आदमी की मामूली खोज से निकला यह विचार अब हर तरफ था इंटरनेट और हमें बड़े पैमाने पर फॉलोअर्स मिलने लगे। जब तेल बनाने की विधि सोशल मीडिया पर साझा किया गया, तब कई पूछताछ की गई। हजारों लोग तेल का उपयोग करना चाहते थे। और इसने हमारे ब्रांड AVIMEE HERBALS को जन्म दिया। और बाकी जैसाकि लोग कहते हैं, इतिहास है।
85 वर्ष मे एक आम आदमी बना एक सफल व्यवसाय का जन्मदाता
85 साल की उम्र में एक आम आदमी ने हासिल की असामान्य और अभूतपूर्व अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के माध्यम से सफलता। आज, अविमी हर्बल के उत्पाद इसके हजारों उपयोगकर्ताओं के बीच अच्छी तरह से सराहना और मान्यता प्राप्त है। और क्या हमें बाहर खड़ा करता है हमारा “ईमानदारी से” है।
AVIMEE HERBALS नाम कैसे परा ?
राधाकृष्ण चौधरी की चार बेटिया हैं उन्ही के नाम के पहले अक्षर को ब्रांड के नाम से जोड़ दिया आज AVIMEE HERBALS देश मे ही नही विदेशो मे भी अपने नाम का झंडा गाड़ चुकी है ।
तो ये थी कहानी एक आम आदमी की जिन्होंने 2010 मे अपने पारिवारिक व्यवसाय को अलविदा कहकर अपने बेटी के स्वास्थ्य के कारण भागलपुर से दिल्ली शिफ्ट होता उसके बाद अपने बेटी के परिवार के साथ ही गुजरात जाता है फिर कोरोना काल मे इतिहास रच देता है