सच में खिला दिया कुकुर बिहारियों को क्या ?सच में खिला दिया कुकुर बिहारियों को क्या ?

बिहार की राजनीति का कुत्तों के स्तर पर पहुंचना

बिहार के मिथिलांचल में एक प्रचलित कहावत है – कही त माय मारल जै नै कही त बाप पिल्ला खाय! वैसे तो इसका अर्थ मोटे तौर पर हिंदी के “आगे कुंआ पीछे खाई” या अंग्रेजी के “between the devil and the deep sea” जैसा है, लेकिन इसके पीछे एक कहानी होती है। कहानी कुछ यूँ है कि एक व्यक्ति था, जिसके परिवार में तीन ही लोग – वो स्वयं, उसकी पत्नी और एक बेटा था। एक दिन सुबह वो बाजार से पाव भर मीट खरीद लाया और पत्नी को बनाने के लिए देकर खेतों पर, अपने काम पर चला गया।

प्रेशर कुकर का जमाना नहीं था, कुछ इस वजह से, और पत्नी मीट की थोड़ी शौक़ीन भी थी इसलिए भी, बनाते-बनाते वो युवती चखकर देख रही थी कि मांस पका या नहीं। पाव भर होता ही कितना है? चखने-चखने में ही स्त्री ने पूरा मांस समाप्त कर डाला। अब पति लौटता और उसे सारा मांस अकेले भकोस लेने के उलाहने देता। तो स्त्री ने तरकीब सोची। वहीँ एक कुत्ते का पिल्ला खेल रहा था। पत्नी ने उसे ही काटकर पका डाला। उसका बेटा वहीँ आंगन में ही खेल रहा था और सारी हरकतें देख रहा था।

उस समय तो बच्चे ने कुछ नहीं कहा, मगर जब उसके पिता घर लौटे और खाना खाने बैठे तो बच्चे ने गाना शुरू किया, कही त माय मारल जै नै कही त बाप पिल्ला खाय! यानी अगर मैंने कुछ कहा तो निश्चित रूप से कुत्ता परोस देने के लिए माँ पिट ही जाएगी, और जो कुछ नहीं कहा तो बाप कुत्ते का पिल्ला खायेगा! बिहार की राजनीति में आजकल अफवाहों का बाजार गर्म है। कुछ दिन पहले जद(यू) के ललन सिंह ने जो मटन-चावल की दावत दी थी, उसपर भाजपा वालों ने शराब बाँटने का आरोप लगाया। इसके बाद ललन सिंह ने भाजपा के सम्राट चौधरी को लीगल नोटिस भेज दिया है।

अभी लीगल नोटिस पहुंचा ही था कि नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने मुंगेर शहर से कुत्तों के गायब होने की बात कर दी। भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद भी कुछ ऐसी ही बात ट्वीट कर चुके हैं। कुत्ता प्रेमियों को इस मसले पर ध्यान देना चाहिए। कुत्तों को ऐसे मारकर खा जाना ठीक तो नहीं! वैसे जिसे पता भी होगा कि कौन सा जानवर भोज में परोसा गया था, वो अपने ही शहर के लोगों के बारे में क्या कहेगा? कही त माय मारल जै नै कही त बाप पिल्ला खाय! बाकि उच्च-स्तरीय जांच करके ऐसी अफवाहों पर विराम लगाना चाहिए। राजनीति का कुत्तों के स्तर पर पहुँच जाना कोई अच्छी बात तो नहीं।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है। Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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