भारत शेयर बाजार पूंजीकरण के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर पहुंचा

भारत आज अर्थ के विभिन्न क्षेत्रों में नित नई ऊंचाईयां छू रहा है। दिसम्बर 2023 के प्रथम सप्ताह में भारत ने फ्रान्स एवं ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए शेयर बाजार के पूंजीकरण के मामले में पूरे विश्व में पांचवा स्थान हासिल किया था। भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन, जापान एवं हांगकांग थे। परंतु, अब दो माह से भी कम समय में भारत ने शेयर बाजार के पूंजीकरण के मामले में हांगकांग को पीछे छोड़ते हुए विश्व में चौथा स्थान प्राप्त कर लिया है। भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से भी अधिक का हो गया है। अब ऐसा आभास होने लगा है कि भारत अर्थ के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करता हुआ दिखाई दे रहा है। एक ईसवी से लेकर 1750 ईसवी तक आर्थिक दृष्टि से पूरे विश्व में भारत का बोलबाला था। इस खंडकाल में विश्व के कुल विदेशी व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से भी अधिक की रही है क्योंकि उस समय पर भारत में सनातन संस्कृति का पालन करते हुए व्यापार किया जाता था। भारत में कर्म एवं अर्थ के कार्यों को धर्म का पालन करते हुए करने की प्रथा का पुरातन शास्त्रों में वर्णन मिलता है। भारत में चूंकि आज एक बार पुनः सनातन संस्कृति का पालन करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य सम्पन्न हो रहे हैं अतः पूरे विश्व का भारत पर विश्वास बढ़ रहा है अतः न केवल विदेशी वित्तीय संस्थान बल्कि विदेशी नागरिक भी भारत के पूंजी (शेयर) बाजार में अपने निवेश को लगातार बढ़ाते जा रहे हैं।

भारत में नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टेड समस्त कम्पनियों के कुल बाजार पूंजीकरण का स्तर 2 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर जुलाई 2017 में पहुंचा था और लगभग 4 वर्ष पश्चात अर्थात मई 2021 में 3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया था तथा केवल लगभग 2.5 वर्ष पश्चात अर्थात दिसम्बर 2023 में यह 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को भी पार कर गया था और आज यह 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर से भी आगे निकल गया है। इस प्रकार भारत शेयर बाजार पूंजीकरण के मामले में आज पूरे विश्व में चौथे स्थान पर आ गया है।

प्रथम स्थान पर अमेरिकी शेयर बाजार है, जिसका पूंजीकरण 50.86 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। द्वितीय स्थान पर चीन का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 8.44 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। वर्ष 2023 में चीन के शेयर बाजार ने अपने निवेशकों को ऋणात्मक प्रतिफल दिए हैं। तीसरे स्थान पर जापान का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 6.36 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। चौथे स्थान पर भारत का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। पांचवे स्थान पर हांगकांग का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 4.29 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। जिस तेज गति से भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण आगे बढ़ रहा है, अब ऐसी उम्मीद की जा रही है कि कुछ समय पश्चात ही भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण जापान शेयर बाजार के पूंजीकरण को पीछे छोड़ते हुए पूरे विश्व में तीसरे स्थान पर आ जाएगा।

भारतीय शेयर बाजार आज विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन गया है क्योंकि भारतीय शेयर बाजार अपने निवेशकों को भारी लाभ दे रहा है। हाल ही में सम्पन्न किए गए एक सर्वे में यह बात उभरकर सामने आई है कि विश्व के 100 बड़े निवेशक फंड जिनकी संपतियां 26.25 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की हैं, ने चीन के स्थान पर भारत में अपने निवेश बढ़ाने की बात की है। भारत के बाद ब्राजील एवं चीन में ये फंड अपने निवेश की बात कर रहे हैं। वर्ष 2023 में विभिन्न विदेशी निवेशक फंडों ने 2000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश भारत के शेयर बाजार में किया है। पिछले लगातार 8 वर्षों के दौरान भारतीय शेयर बाजार ने अपने निवेशकों को लाभ दिया है जबकि विश्व के कई बड़े बाजार यथा चीन, हांगकांग एवं जापान जैसे बाजार भी लगातार यह लाभ नहीं दे पाए हैं। भारतीय शेयर बाजार ने वर्ष 2023 में अपने निवेशकों को 10 प्रतिशत से अधिक का लाभ दिया है।

भारत विश्व में विकास के इंजन के रूप में उभर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि वर्ष 2024 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में भारत का योगदान 16 प्रतिशत से भी अधिक का रहने वाला है। जब अन्य देशों की विकास दर कम हो रही हैं तब भारत में आर्थिक विकास दर तेज हो रही हैं। यह सब केंद्र सरकार द्वारा देश में लागू की जा रही आर्थिक नीतियों के कारण सम्भव हो पा रहा है। देश में मंदिर अर्थव्यवस्था एवं धार्मिक पर्यटन के बढ़ते आधार के चलते ही यह सम्भव हो पा रहा है। जब भारत की विकास दर बढ़ रही है तो भारत में कार्य कर रही विनिर्माण एवं अन्य क्षेत्रों में कार्यरत कम्पनियों का व्यापार भी बढ़ रहा है और भारतीय पूंजी बाजार में इन कम्पनियों के शेयरों की कीमत भी बढ़ रही है। अतः विदेशी संस्थान सहित विदेशी नागरिक भी अपने निवेश पर अधिक लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं। विदेशी निवेशक एवं विदेशी संस्थान जो माह सितम्बर 2023 तक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे थे, अब अचानक भारी मात्रा में भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। आज कई बार तो एक दिन में 5000 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि का निवेश इन विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में किया जा रहा है।

केंद्र सरकार पर विपक्षी दलों द्वारा कई बार यह आरोप लगाया जाता है कि भारत में सरकारी उपक्रमों को समाप्त किया जा रहा है। जबकि पिछले 27 माह के खंडकाल के दौरान सरकारी उपक्रमों का पूंजीकरण शेयर बाजार में दुगना होकर 46.40 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक का हो गया है। सरकारी उपक्रमों ने अपने बाजार पूंजीकरण में इस अवधि में अतुलनीय वृद्धि दर्ज की है। बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज का सेन्सेक्स पिछले 27 माह में 60,000 के स्तर से 70,000 के स्तर को पार कर गया है। इन सरकारी उपक्रमों के कोरपोरेट गवर्नन्स में भारी सुधार हुआ है, जिसके चलते न केवल विदेशी निवेशकों का बल्कि भारत के संस्थागत निवेशकों एवं खुदरा निवेशकों का भी विश्वास इन सरकारी उपक्रमों पर बढ़ा है।

केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में लगातार लागू किए जा रहे विभिन्न सुधार कार्यक्रमों के चलते विदेशी संस्थागत निवेशक, विदेशी खुदरा निवेशक एवं विदेशों में निवास कर रहे भारतीय मूल के नागरिक भी भारतीय कम्पनियों में भारी मात्रा में शेयर बाजार के माध्यम से निवेश कर रहे हैं। हाल ही के समय में भारतीय कम्पनियों की लाभप्रदता में भी अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है जिससे इन कम्पनियों के विभिन्न वित्तीय अनुपात बहुत आकर्षक बन गए हैं। जबकि चीन, हांगकांग, ब्रिटेन, जापान जैसे शेयर बाजार अपने निवेशकों को ऋणात्मक अथवा बहुत कम रिटर्न दे पा रहे हैं। कई विदेशी संस्थान निवेशक तो चीन, हांगकांग आदि देशों से अपना पूंजी निवेश निकालकर भारतीय शेयर बाजार में कर रहे हैं। इससे आगे आने वाले समय में भी भारतीय शेयर बाजार में वृद्धि दर आकर्षक बनी रहेगी, इसकी भरपूर सम्भावना व्यक्त की जा रही है।

ऐसा कहा जाता है कि शेयर बाजार में निवेशक अपनी जमापूंजी का निवेश बहुत सोच विचार कर करता है एवं जब निवेशकों को यह आभास होने लगता है कि अमुक कम्पनी का भविष्य बहुत उज्जवल है एवं निवेशक द्वारा किए गए निवेश पर प्रतिफल अधिकतम रहने की सम्भावना है, तभी निवेशक अपनी जमापूंजी को शेयर बाजार में उस अमुक कम्पनी में निवेश करते है। इस प्रकार, जब किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर निवेशकों का भरोसा बढ़ता हुआ दिखाई देता है तो विशेष रूप से विदेशी निवेशक एवं विदेशी संस्थागत निवेशक उस देश में विभिन्न कम्पनियों के शेयर में अपनी निवेश बढ़ाते हैं। चूंकि विदेशी संस्थानों को आगे आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था पर एवं भारतीय कम्पनियों की विकास यात्रा पर भरपूर भरोसा है अतः भारतीय शेयर बाजार में निवेश भी रफ्तार पकड़ रहा है।

By Prahlad Sabnani

लेखक परिचय :- श्री प्रह्लाद सबनानी, उप-महाप्रबंधक के पद पर रहते हुए भारतीय स्टेट बैंक, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई से सेवा निवृत हुए है। आपने बैंक में उप-महाप्रबंधक (आस्ति देयता प्रबंधन), क्षेत्रीय प्रबंधक (दो विभिन्न स्थानों पर) पदों पर रहते हुए ग्रामीण, अर्ध-शहरी एवं शहरी शाखाओं का नियंत्रण किया। आपने शाखा प्रबंधक (सहायक महाप्रबंधक) के पद पर रहते हुए, नई दिल्ली स्थिति महानगरीय शाखा का सफलता पूर्वक संचालन किया। आप बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे। आपने बैंक में विभिन पदों पर रहते हुए 40 वर्षों का बैंकिंग अनुभव प्राप्त किया। आपने बैंकिंग एवं वित्तीय पत्रिकाओं के लिए विभिन्न विषयों पर लेख लिखे हैं एवं विभिन्न बैंकिंग सम्मेलनों (BANCON) में शोधपत्र भी प्रस्तुत किए हैं। श्री सबनानी ने व्यवसाय प्रशासन में स्नात्तकोतर (MBA) की डिग्री, बैंकिंग एवं वित्त में विशेषज्ञता के साथ, IGNOU, नई दिल्ली से एवं MA (अर्थशास्त्र) की डिग्री, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से प्राप्त की। आपने CAIIB, बैंक प्रबंधन में डिप्लोमा (DBM), मानव संसाधन प्रबंधन में डिप्लोमा (DHRM) एवं वित्तीय सेवाओं में डिप्लोमा (DFS) भारतीय बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान (IIBF), मुंबई से प्राप्त किया। आपको भारतीय बैंक संघ (IBA), मुंबई द्वारा प्रतिष्ठित “C.H.Bhabha Banking Research Scholarship” प्रदान की गई थी, जिसके अंतर्गत आपने “शाखा लाभप्रदता - इसके सही आँकलन की पद्धति” विषय पर शोध कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न किया। आप तीन पुस्तकों के लेखक भी रहे हैं - (i) विश्व व्यापार संगठन: भारतीय बैंकिंग एवं उद्योग पर प्रभाव (ii) बैंकिंग टुडे एवं (iii) बैंकिंग अप्डेट Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

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