केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करते हुए यह सवाल उठाया कि भारत में वक्फ बोर्ड के पास विशाल संपत्तियां होने के बावजूद मुस्लिम समुदाय आर्थिक रूप से पिछड़ा क्यों है। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे और रक्षा विभाग के बाद वक्फ बोर्ड के पास देश में तीसरी सबसे बड़ी संपत्ति है, जो लगभग 8.72 लाख संपत्तियों और 9 लाख 40 हजार एकड़ भूमि पर फैली हुई हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये है।
रिजिजू ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इतनी बड़ी संपत्ति के बावजूद वक्फ बोर्ड से सालाना आय केवल लगभग 100 करोड़ रुपये है, जबकि यह हजारों करोड़ रुपये होनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि इन संपत्तियों का उपयोग मुस्लिम समुदाय के गरीब तबके के उत्थान के लिए क्यों नहीं हो रहा है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन और उपयोग न होने के कारण मुस्लिम समुदाय की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। इसलिए, वक्फ संशोधन विधेयक के माध्यम से इन संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि उनका सही उपयोग सुनिश्चित हो सके और मुस्लिम समुदाय के गरीब तबके को लाभ मिल सके।
इस संदर्भ में, रिजिजू ने संसद भवन का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि यह संशोधन नहीं लाया जाता, तो वक्फ बोर्ड इस इमारत पर भी दावा कर सकता था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के दौरान वक्फ बोर्ड को संपत्तियों के हस्तांतरण में अनियमितताएं हुई हैं, जिन्हें इस विधेयक के माध्यम से सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।
इस प्रकार, वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन और उपयोग की कमी के कारण मुस्लिम समुदाय की आर्थिक स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है, जिसे सुधारने के लिए यह विधेयक लाया गया है।