स्कूलों में स्वच्छता गतिविधियों के लिए बढ़ा हुआ अनुदान बच्चों को सुरक्षित रहने और अच्छी तरह से सीखने में मदद करेगा
पटना, 12 फरवरी:
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“मैं स्कूलों को फिर से खोलने के लिए बिहार सरकार को बधाई देती हूं। मैं सभी लड़कियों और लड़कों के लिए बेहद ख़ुश हूं, अब वे ‘लर्निंग’ पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। शिक्षकों का कुशल मार्गदर्शन लॉकडाउन के दौरान उनके अध्ययन के नुकसान की भरपाई करने में मदद करेगा। लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से जहां अधिकांश बच्चों में तनाव और मनोवैज्ञानिक समस्याएं देखी गईं, वहीं कईयों को ज़बरन मज़दूरी, कम उम्र में शादी, गाली-गलौज और घरेलु हिंसा का शिकार होना पड़ा। अब जबकि स्कूल फिर से खुल गए हैं, वे अपने दोस्तों-सहपाठियों के साथ ख़ुशनुमा माहौल में पढ़ाई-लिखाई शुरू करने के साथ-साथ मध्याह्न भोजन का लाभ ले सकेंगे। मैं माता-पिता, विद्यार्थियों और स्कूल प्रशासन से आग्रह करूंगी कि वे सभी नियमित रूप से हाथ धोने, मास्क पहनने और सुरक्षित दूरी बनाए रखने जैसे कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें। ‘सुरक्षित रहें सीखते रहें’, हमारा यही मंत्र होना चाहिए।“
– नफ़ीसा बिन्ते शफ़ीक़, राज्य प्रमुख, यूनिसेफ बिहार
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बच्चों को सुरक्षित रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसे सुनिश्चित करने के लिए वृहत तैयारी की गई है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को विस्तृत कोविड-19 सुरक्षा दिशानिर्देश भेजे हैं। यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से तैयार इन दिशानिर्देशों में स्कूलों को फिर से खोलने से पहले और बाद में ज़रूरी सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने संबंधी तैयारियों का ब्योरा दिया गया है।
इसके अलावा, कोविड-19 और अन्य संक्रमणों की रोकथाम में जल, साफ़-सफाई व स्वच्छता (WASH) के विशेष महत्व को देखते हुए समग्र शिक्षा अभियान के दिशानिर्देशों के तहत स्कूलों को मिलने वाले अनुदान के स्वच्छता घटक को 10 से बढ़ाकर 25% तक कर दिया गया है। इसके लिए राज्य परियोजना निदेशक, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा जून 2020 में निर्देश जारी किए जा चुके हैं। अब जबकि स्कूल फिर से खुल गए हैं, इस अतिरिक्त राशि की मदद से बच्चों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ माता-पिता को तनाव मुक्त रखने में भी मदद मिलेगी।
यूनिसेफ बिहार की शिक्षा विशेषज्ञ, प्रमिला मनोहरन के अनुसार, कोरोना काल में स्कूलों के सुगम संचालन हेतु विश्वास बहाली बेहद महत्वपूर्ण है। इसके मद्देनज़र यूनिसेफ ने पांच जिलों (गया, पूर्णिया, नालंदा, सीतामढ़ी, दरभंगा और मधुबनी) के 100 स्कूलों में इन दिशानिर्देशों के सफल कार्यान्वयन के लिए उन्मुखीकरण कार्यक्रम सह मॉक अभ्यास सत्र आयोजित किया गया। हमने इन विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को कक्षाओं में सभी अनिवार्य प्रक्रियाओं जैसे कक्षाओं में सुरक्षा निगरानी, स्कूल परिसर की समुचित साफ़-सफाई के अलावा साबुन और थर्मामीटर उपलब्धता और पानी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर प्रशिक्षण दिया। साथ ही, स्कूलों में लड़कियों और विशेष जरूरत वाले बच्चों की आवश्यकतानुसार स्वच्छता सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बारे में भी बताया गया।
पूर्णिया जिले के कस्बा ब्लॉक अंतर्गत मध्य विद्यालय, बसंतपुर के हेडमास्टर अनिल कुमार सिंह के मुताबिक, यूनिसेफ का प्रशिक्षण वास्तव में बहुत मददगार रहा है। हमने स्कूल खुलने के पूर्व पूरे विद्यालय परिसर को कीटाणुरहित किया है। हमने यूनिसेफ के सहयोग से ग्रुप हैंडवाशिंग स्टेशन भी स्थापित किए हैं जहां बच्चे बिना हाथों का इस्तेमाल किए अपनी कुहनी के सहारे ही नल खोल-बंद कर सकते हैं। हाथों का सीधा संपर्क नहीं होने से संक्रमण की कोई गुंजाइश नहीं होती। साथ ही, शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हम छठवीं से आठवीं कक्षा में नामांकित कुल 153 छात्रों में से केवल 50% को स्कूल आने की अनुमति दे रहे हैं। बच्चों और शिक्षकों को मास्क पहनना अनिवार्य है और हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि केवल दो बच्चे एक बेंच पर बैठें।
[quotes quotes_style=”bquotes” quotes_pos=”center”]“हमने 56 स्कूलों (गया और पूर्णिया जिले में 20-20 स्कूल और शहरी पटना में 16 स्कूल) में यूनिसेफ के समर्थन से न्यूनतम स्पर्श वाले हैंडवाशिंग स्टेशनों का निर्माण किया है। इसके अलावा, हम सीएसआर फंड के ज़रिए 2.25 करोड़ की लागत से पटना जिले के 300 स्कूलों में इसी तरह के एल्बो-टच टैप वाले हैंडवाशिंग स्टेशन के निर्माण की प्रक्रिया में हैं। यूनिसेफ द्वारा डिजाइन किए गए हैंड्स-फ़्री अथवा मिनिमम-टच ग्रुप हैंडवाशिंग स्टेशन कोविड-19 संक्रमण से बचाव में काफ़ी प्रभावी है और पूरे राज्य में इसे बढ़ावा दिया जा सकता है।” – भोला प्रसाद सिंह, सिविल वर्क्स मैनेजर, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद[/quotes]
राज्य में स्कूलों की कार्यप्रणाली में वॉश (WASH) संबंधी प्रावधानों को सुदृढ़ करने के लिए यूनिसेफ द्वारा बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् को लगातार समर्थन प्रदान किया जा रहा है ताकि स्कूल खुलने की स्थिति में स्कूल प्रशासन द्वारा कोविड-19 की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करते हुए शैक्षणिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके। इस संदर्भ में कोविड काल में स्कूलों में वॉश और इन्फेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (IPC) उपायों को लेकर विकसित किया गया तकनीकी मार्गदर्शन नोट जिसे आवश्यक कार्रवाई के लिए बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् को प्रस्तुत किया गया था विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसके अतिरिक्त लगभग 1500 प्रमुख हितधारकों जिनमें शिक्षक, बीआरपी, सीआरसी, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, बीईओ और डीपीओ के अतिरिक्त यूनिसेफ द्वारा समर्थित पांच आकांक्षी जिले (गया, बांका, पूर्णिया, सीतामढ़ी और शेखपुरा) शामिल थे, का वॉश और इन्फेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के बारे में ज़ूम एप्लिकेशन के माध्यम से उन्मुखीकरण किया गया।
यूनिसेफ वॉश (WASH) विशेषज्ञ, प्रभाकर सिन्हा ने जानकारी देते हुए कहा कि कोविड-19 को देखते हुए स्कूलों में वॉश सुविधाओं को बेहतर बनाने हेतु गया और पूर्णिया जिलों से लगभग 250 स्कूलों को ‘स्वच्छता कार्य योजना’ विकसित करने में यूनिसेफ़ द्वारा सहयोग दिया गया। इसके अलावा, इन स्कूलों में सोप बैंकों और सेनेटरी पैड बैंकों को बढ़ावा दिया गया है ताकि आपात समय में स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में साबुन के साथ-साथ किशोरियों की मासिक धर्म स्वच्छता संबंधी आवश्यकताओं के मद्देनज़र सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
लॉकडाउन के दौरान स्कूलों को बंद होने से छात्र-छात्राओं, विशेष रूप से सरकारी स्कूलों से संबद्ध विद्यार्थियों, की शिक्षा पूरी तरह से बाधित हो गई थी। शिक्षा विभाग, बिहार सरकार ने इन बच्चों की शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कई विशेष कार्यक्रम तैयार किए जिनमें यूनिसेफ ने तकनीकी सहयोग दिया।
प्रमिला मनोहरन ने बताया कि इस कड़ी में 6-12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए डीडी बिहार पर प्रतिदिन सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक प्रसारित होने वाला “मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय” एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके अलावा, हर शनिवार को ‘सुरक्षित शनिवार’ के तहत बच्चों को आपदा जोखिम में कमी, व्यक्तिगत और ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में सिखाया जाता है। रविवार को ‘संडे इज़ फ़नडे’ के अंतर्गत बच्चों को कला और शिल्प से जुड़ी मजेदार गतिविधियाँ सिखाई जाती हैं। इन सभी कार्यक्रमों को पूरे बिहार के बच्चे देखते हैं। इसके अलावा, मोबाइल एप्लिकेशन जैसे उन्नयन ऐप और बीईपीसी यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी कक्षाएं शुरू की गईं, जिससे लाखों छात्र-छात्राओं को लाभ हुआ है।