शिवपुरी।
मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) में संरक्षण प्रयासों के तहत शुक्रवार (21 फरवरी, 2025) को पाँच और चीता को उनके बाड़ों से जंगल में छोड़ दिया गया। इसके साथ ही अब कुल 12 चीता खुले जंगल में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं।
केएनपी के आधिकारिक बयान के अनुसार, नामीबिया से लाई गई मादा चीता ‘ज्वाला’ और उसके चार 13 महीने के शावकों (दो नर और दो मादा) को खजूरी वन क्षेत्र में छोड़ा गया। अब पार्क में पाँच वयस्क चीता और सात शावक स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं, जबकि 14 अभी भी बाड़ों में हैं।
पिछली रिहाइयाँ और चीता संरक्षण प्रयास
इससे पहले 5 फरवरी को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दो वयस्क मादा चीता, ‘आशा’ और ‘धीर’, तथा तीन शावकों को जंगल में छोड़ा था। वहीं, दिसंबर 2024 में दो नर चीता ‘अग्नि’ और ‘वायू’ को भी जंगल में छोड़ा गया था।
पर्यटकों को चीता देखने का मौका
केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा के अनुसार, खजूरी क्षेत्र ‘अहेरा पर्यटन क्षेत्र’ का हिस्सा है। उन्होंने बताया, “नवीनतम रिहाई के बाद, पर्यटक अब सफारी के दौरान इन चीता को देखने का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। सभी चीता स्वस्थ हैं और जंगल में अच्छा कर रहे हैं।”
चीता पुनर्वास की शुरुआत
भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की वापसी के लिए 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीता लाए गए।
हालांकि, अगस्त 2023 में सेप्टिसीमिया से तीन चीतों की मृत्यु हो गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, उनकी गर्दन पर रेडियो कॉलर के कारण घाव बने, जो बाद में संक्रमित हो गए। इस घटना के बाद केंद्र सरकार की चीता प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी ने अगस्त 2024 में सिफारिश की कि चीतों को चरणबद्ध तरीके से जंगल में छोड़ा जाए।
अब धीरे-धीरे चीता को उनके प्राकृतिक आवास में स्थापित किया जा रहा है, जिससे भारत में विलुप्त हो चुकी इस प्रजाति के पुनर्वास की प्रक्रिया को सफल बनाया जा सके।