धारावी का पुनर्विकास: अडानी का वर्चस्व
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की तैयारी के बीच, उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी के धारावी पुनर्विकास परियोजना पर केंद्रित गतिविधियां राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गई हैं। महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने इस परियोजना को ‘मोदानी उद्यम’ करार दिया है, जबकि शिवसेना (यूबीटी) ने इसके खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किए हैं।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस पार्टी ने अडानी समूह पर आरोप लगाया है कि वह धारावी की झुग्गियों को ध्वस्त कर एक आकर्षक वाणिज्यिक भूमि पर कब्जा कर रहा है। मुंबई उत्तर मध्य की सांसद वर्षा गायकवाड़ ने कहा, “अडानी को धारावी के लोगों से प्यार नहीं है। वह वहां बीकेसी (बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स) का विस्तार करना चाहते हैं।”
शिवसेना का प्रतिरोध
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि उनकी पार्टी सत्ता में आने के बाद धारावी परियोजना के टेंडर को रद्द कर देगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अडानी समूह को अनुचित लाभ दे रही है। “हम मुंबई को अडानी शहर नहीं बनने देंगे,” ठाकरे ने नागपुर में एक रैली के दौरान कहा।
समर्थन और संदेह
30 सितंबर को, कैबिनेट ने धारावी के पुनर्वास परियोजना से प्रभावित निवासियों के लिए 255 एकड़ नमक भूमि के उपयोग को मंजूरी दे दी। इससे पहले, केंद्र ने धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड को नमक भूमि के हस्तांतरण को स्वीकृति दी थी, जो कि अदानी रियल्टी समूह और महाराष्ट्र सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
परियोजना का भविष्य
आलोचकों का मानना है कि यह परियोजना धारावी के निवासियों की इच्छाओं के खिलाफ है, और इससे प्रभावित लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “धारावी का पुनर्विकास धाराविकरों की इच्छाओं के भी विपरीत है, जो यथास्थान स्थानांतरण कर रहे हैं।”
निष्कर्ष
धारावी पुनर्विकास परियोजना न केवल विकास का एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक रैली स्थल के रूप में भी कार्य कर रही है। क्या यह परियोजना वास्तव में विकास के लिए है, या फिर यह एक राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है? यह सवाल आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण होगा।