केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो रेलवे परियोजनाओं को दी मंजूरी, 6,798 करोड़ रुपये की लागत से 5 साल में होंगी पूरी
यह परियोजनाएं नए क्षेत्रों से संपर्क जोड़ेंगी, यात्रा में आसानी प्रदान करेंगी, लॉजिस्टिक्स लागत घटाएंगी, तेल आयात कम करेंगी और CO2 उत्सर्जन को भी कम करेंगी। इनसे देश में कनेक्टिविटी सुधरेगी, जिससे माल और यात्री परिवहन का नेटवर्क बेहतर होगा, आपूर्ति शृंखला सुचारू होगी और आर्थिक विकास में तेजी आएगी।
इन परियोजनाओं से लगभग 106 लाख मानव-दिनों का प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने रेलवे मंत्रालय की दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनकी कुल अनुमानित लागत 6,798 करोड़ रुपये है।
दो स्वीकृत परियोजनाएं हैं – (1) नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर खंड का दोहरीकरण (256 किमी) और (2) एर्रुपालेम और नांबुरु के बीच नई रेल लाइन का निर्माण (57 किमी), जिसे 5 वर्षों में पूरा किया जाएगा। इनसे 106 लाख मानव-दिनों का रोजगार मिलेगा।
नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर खंड का दोहरीकरण नेपाल, पूर्वोत्तर भारत और सीमावर्ती क्षेत्रों से संपर्क को सशक्त बनाएगा और मालगाड़ियों व यात्री ट्रेनों की आवाजाही को सरल करेगा, जिससे इस क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास होगा।
एर्रुपालेम-अमरावती-नांबुरु की नई रेल लाइन परियोजना आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा और गुंटूर जिलों तथा तेलंगाना के खम्मम जिले से होकर गुजरेगी।
ये दोनों परियोजनाएं 8 जिलों और 3 राज्यों – आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार – को कवर करेंगी, जिससे भारतीय रेलवे का नेटवर्क लगभग 313 किलोमीटर तक बढ़ जाएगा।
नई रेल लाइन परियोजना लगभग 168 गांवों और 12 लाख की आबादी को जोड़ने का काम करेगी, जबकि मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर जैसे दो आकांक्षी जिलों के 388 गांवों और 9 लाख लोगों को फायदा होगा।
ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लोहा, इस्पात, सीमेंट जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण हैं। क्षमता वृद्धि के कार्यों से प्रति वर्ष 31 मिलियन टन माल परिवहन में इजाफा होगा। रेलवे, जो पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल परिवहन साधन है, इससे देश के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही CO2 उत्सर्जन में 168 करोड़ किलोग्राम की कमी होगी, जो 7 करोड़ पेड़ों के रोपण के बराबर है।
यह परियोजना “अमरावती,” जो आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित राजधानी है, को सीधा संपर्क प्रदान करेगी और औद्योगिक क्षेत्रों तथा जनसंख्या के लिए गतिशीलता में सुधार करेगी।
प्रधानमंत्री की “नए भारत” की परिकल्पना के अनुरूप, ये परियोजनाएं क्षेत्र के लोगों को आत्मनिर्भर बनाएंगी और रोजगार तथा स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि करेंगी।