खबर बिग अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल पहाड़ी पटना से हॉस्पिटल बना लूट का अड्डा , रखते हैं बाउंसर, मरीज के परिजनों को बनाया गया बंधक, मार्केट से अधिक एमआरपी पर बेचते हैं दवा,
28 सितम्बर को भर्ती हुए थे अरविन्द कुमार मिश्रा और आज दिनांक 24 अक्टूबर 2023 को बिना किसी सुधार के क्रिटिकल कंडीशन वेंटीलेटर पर रहते हुए ही रिलीज़ कर दिया गया 28 दिन में बनाया गया 12 लाख 41 हजार रूपये का बिल
पटना : (निजी संवाददाता) 24 अक्टूबर 2023 | दिनांक 28 सितम्बर 2023 को श्री अरविन्द कुमार मिश्रा को पटना के पहाड़ी इलाके में स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में भर्ती करवाया जाता है जिसको की हम बिग हस्पताल के नाम से भी जानते हैं।
मरीज पन्क्रेएटिक नामक बिमारी से गर्सित था। जो की पैंक्रियास की एक गंभीर बिमारी है। हॉस्पिटल ने आश्वाशन दिया था की मरीज ठीक हो जाएगा मगर बिमारी बढती गई और मरीज ऑक्सीजन से वेंटिलेटर पर चला गया ।
हॉस्पिटल पैसे चार्ज करता रहा इसी दरमयान परिजनों ने कहा की दवाई की कीमत अत्यधिक है हम बाहर से मंगवा लेते हैं इसपर अस्पताल प्रबंधन ने साफ़ मना कर दिया। बहुत हो हल्ला के बाद अस्पताल प्रबंधन ने कहा की ठीक है हम डिस्चार्ज के वक्त इसमें छुट दे देंगे।
इलाज के दरम्यान मरीज के परिजनों की जमीन और घर का सोना तक बिक गया मगर न तो मरीज के हालत में सुधार हुआ न ही बिल में कमी ही आई, बिल कुलाचाते मारता हुआ 12 लाख के पार पहुच गया और जैसे ही पेमेंट में देरी होती अस्पताल प्रसाशन कहता “बिल भरो नही तो मरीज को ले जाओ” किसी तरह से पैसो का इंतजाम करके बिल का भुगतान जारी रहा ।
दिनांक 24 अक्टूबर 2023 को मरीज के परिजन जब स्थिति में सुधार होता न देखकर उसे घर ले जाने की बात करने लगे और मरीज के परिजनों ने जब बिल में छुट की बात की तब महज 35000/ के डिस्काउंट की बात अस्पताल प्रबंधन करने लगा मरीज के परिजन इससे खुद को ठगा सा महसूस करने लगे और अस्पताल प्रबंधन और मरीज के बिच कहा सुनी का दौर शरू हो गया इसी बिच अस्पताल प्रबंधन ने बाउंसर बुला लिया मरीज तथा मरीज के परिजनों को बंधक बना लिया की पैसा कहीं से भी लाओ एक तरह से इसको अपहरण कह सकते है किसी तरह से बिल की राशि का भुगतान किया गया तब जाकर मरीज को रिलीज किया गया।
परिजनों का कहना है की दवाई देने से पहले हमसे कोई कंसेंट भी नही लिया गया और मनमाने ढंग से बिल बनाया गया है। अत्यधिक ctscan और अल्ट्रसाउंड का भी दौर चलता रहा बिल को बढाने के लिए।
परिजन बहुत ही सदमे में हैं और डरे भी हुए हैं बहरहाल इस तरह के मामले मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल रहा है कहा गया आयुष्मान योजना ? कहाँ है सरकार का नियम और कानून ? मुफ्त स्वास्थ्य सेवाए इस तरह के वाक्यों को देखकर सरकार के मुह पर एक तमाचा जैसा लगता है !
सरकारी अस्पताल में सभी दवाये उपलब्ध होती नही । लगभग दवाये एक्सपायरी डेट की होती है। निजी हस्पताल का हाल हम आपको दिखा ही दिए है और ये कोई पहला मामला भी नहीं है इस तरह के मामले आप पुरे देश में देख लीजिये अनगिनत मिलेंगे फिर सरकारी योजना मुझे तो ढोल ही लगता है आपका पता नही ! ये कार्ड बनवा लो वो कार्ड बनवा लो फिर आधार क्यों ही दिए थे गुरु ?
अपने आप योजनाये क्यों नही लागू होती ? गरीबो पर डिजिटल इण्डिया तो है मगर इस डिजिटल इण्डिया में भी एनरोलमेंट का एक अहम रोल है।
आधार से पैन लिंक नही होने पर फाइन वसूल लिए जाते हैं। बड़ा सवाल यह है की जब अनिवार्य है ही फिर अपने आप लिंक क्यों नही हुआ ? बैंक के पास दस्तावेज तो है ही फिर भी लिंक करने के लिए फाइन का जो स्वरुप है वो किस और इशारा करता है !
कमोबेश सभी सरकारी योजनाओं का यही हाल है अरे भाई आधार कार्ड से जब सब लिंक कर ही दिए फिर निजाम को खूब मालुम है की कौन रोजगारी है और कौन बेरोजगार है।
स्वास्थ्य सेवाओं का ये हाल है । आप अपने गावं के किसी भी सरकारी अस्पताल पर चले जाइए आपको मालुम हो जाएगा ।
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का ये हाल खासकर की बिहार जैसे पिछड़े राज्य में किस ओर इशारा करती है ? स्वस्थ रहिये योग आदि कीजिये और बीमार पड़े फिर पता नही क्या कीजिये ? वैसे आप हेल्थ insurance करवा सकते हैं मगर भाई साहेब जिन लोगो के पास खाने को रोटी नही उनसे आप स्वास्थ्य बीमा की बात कर बैमानी ही लगती है।
बहरहाल हॉस्पिटल में अगर बिल हुआ ज्यादा और देने में अगर आना कानी कर दिए फिर आप बाउंसर का सामना कर सकते हैं।
इस मामले में हस्पताल प्रसाशन से भी हम जल्द ही सम्पर्क करेंगे बने रहे अवेयर न्यूज़ 24 के साथ खबरों का सिलसिला यहाँ पर जारी है ।