धारा 370 हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर बन रहा है भारत में निवेश का नया केंद्र प्रहलाद सबनानीधारा 370 हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर बन रहा है भारत में निवेश का नया केंद्र प्रहलाद सबनानी

ऐसा कहा जाता है कि JAMMU & KASHMIR में धारा 370 लागू करना तत्कालीन नेहरू सरकार की सबसे बड़ी राजनैतिक भूल थी, क्योंकि इसके कारण JAMMU & KASHMIR के नागरिकों का अत्यधिक नुक्सान हुआ है। दरअसल पूरे देश में नागरिकों के हितार्थ भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं का लाभ धारा 370 के कारण JAMMU  KASHMIR एवं लद्दाख के नागरिकों को नहीं मिल पा रहा था। साथ ही, इन क्षेत्रों का विकास भी नहीं हो पा रहा था क्योंकि अत्यधिक आतंकवाद के कारण इस क्षेत्र में कोई भी उद्योगपति अपना निवेश करने को तैयार ही नहीं होता था।

धारा 370 को लागू करने के कारण जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को आर्थिक नुक्सान के अलावा राजनैतिक, सामाजिक एवं अन्य क्षेत्रों में पूरे भारत को ही भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। केंद्र सरकार को रक्षा, विदेश एवं संचार जैसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर शेष समस्त क्षेत्रों के लिए भारत सरकार के कानून जम्मू कश्मीर में लागू करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना आवश्यक होता था। अतः भारत सरकार के कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते थे। इसका परिणाम यह निकलता था कि भारत के अन्य राज्यों से कोई भी भारतीय नागरिक जम्मू कश्मीर की सीमा के अंदर जमीन या सम्पत्ति नहीं खरीद सकता था। जम्मू कश्मीर के लिए भारतीय तिरंगा के अलावा एक अलग राष्ट्रीय ध्वज भी होता था, इसलिए वहां के नागरिकों द्वारा भारतीय तिरंगा के सम्मान नहीं करने पर उन पर कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता था। यहां तक कि जम्मू और कश्मीर के सम्बंध में भारत की सुप्रीम कोर्ट द्वारा यदि कोई आदेश दिया जाता था, तो वहां के लिए यह जरूरी नहीं है कि वे इसका पालन करें। जम्मू और कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के किसी व्यक्ति से शादी कर लेती थी, तो उस महिला से उसके कश्मीरी होने का अधिकार छिन जाता था। इसके विपरीत यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान में रहने वाले किसी व्यक्ति से निकाह करती थी, तो उसकी कश्मीरी नागरिकता पर कोई असर नहीं होता था। साथ ही, कोई पाकिस्तानी नागरिक यदि कश्मीरी लड़की से शादी करता था और फिर कश्मीर में आकर रहने लगता था तो उस व्यक्ति को भारतीय नागरिकता भी प्राप्त हो जाती थी। यह किस प्रकार के नियम बनाए गए थे जिनके अनुसार एक भारतीय नागरिक जम्मू कश्मीर में नहीं बस सकता था परंतु एक पाकिस्तानी नागरिक यहां बस सकता था और आतंकवाद फैला सकता था।

कुल मिलाकर धारा 370 के चलते, जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को लाभ के स्थान पर नुक्सान ही अधिक उठाना पड़ा है। परंतु, केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद इस क्षेत्र के नागरिकों को देश में लागू की जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाने, इस क्षेत्र के आर्थिक विकास को गति देने एवं आतंकवाद को समूल नष्ट करने के उद्देश्य से दिनांक 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर को खास दर्जा देने वाली धारा 370 को कानूनी रूप से खत्म कर दिया था। केंद्र सरकार का यह फैसला सचमुच में बहुत दूरदर्शी साबित हुआ है क्योंकि धारा 370 को हटाए जाने के बाद से जम्मू एवं कश्मीर में कई बदलाव दृष्टिगोचर हैं। अब केंद्र के समस्त कानूनों एवं अन्य कई आर्थिक योजनाओं को वहां लागू कर दिया गया है इससे आम नागरिकों को बहुत सुविधा एवं लाभ हुआ है। आतंकी घटनाओं में भारी कमी आई है। आतंकवादियों की कमर तोड़ दी गई है। हजारों की संख्या में स्थानीय नागरिकों को सरकारी नौकरियां प्रदान की गई हैं। देश का यह सबसे खूबसूरत भाग धारा 370 को लागू करने के बाद से पूरी तरह से भारत से जुड़ नहीं पाया था परंतु अब धारा 370 हटाए जाने के बाद यह क्षेत्र भी सही अर्थों में भारत के साथ जुड़ गया है।

धारा 370 को हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में जिस तरह आधारभूत संरचना का विकास हो रहा है, कनेक्टिविटी बढ़ रही है, उससे राज्य में पर्यटन गतिविधियों का विस्तार हुआ है और केलेंडर वर्ष 2022 में रिकार्ड वृद्धि के साथ 26 लाख से अधिक पर्यटक वहां पहुंचे हैं। भारत के राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से वर्ष 2019 तक जम्मू कश्मीर में तकरीबन 14,700 करोड़ रुपए का निवेश हो पाया था, जबकि पिछले केवल 3 वर्षों में यह चार गुना बढ़कर 56,000 करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है। स्वास्थ्य से जुड़ी आधारभूत संरचना का भी तेजी से विकास हो रहा है। 2 नए एम्स, 7 नए मेडिकल कॉलेज, 2 स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट और 15 नर्सिंग कॉलेज खुलने जा रहे हैं। इस सबसे स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के नए अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

हाल ही में पिछले दिनों श्रीनगर के सेमपोरा में विदेशी निवेश से निर्मित होने वाले 250 करोड़ रुपये की लागत के एक मॉल की आधारशिला उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने रखी। यह जम्मू एवं कश्मीर में विदेशी पूंजी से बनने वाला प्रदेश का पहला मॉल होगा, जिसे 2026 तक पूरा किए जाने की सम्भावना है। दुबई का एम्मार समूह इसका निर्माण कर रहा है। इसके अलावा जम्मू और श्रीनगर में डेढ़ सौ-डेढ़ सौ करोड़ रुपये की लागत वाले एक-एक आईटी टावर का विनिर्माण भी एम्मार समूह कर रहा है। यह इसका प्रमाण है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद की बदली परिस्थितियों में जम्मू-कश्मीर में भी विदेशी निवेश आ रहा है। उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा के मुताबिक, नई औद्योगिक नीति आने के 22 महीनों में 5,000 से अधिक देसी व विदेशी कंपनियों के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। साथ ही, श्री सिन्हा ने इस अवसर पर यह घोषणा भी की कि निवेश संबंधी प्रस्ताव आने के 15 दिन के अंदर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। देश के किसी भी प्रदेश में ऐसी घोषणा शायद ही पूर्व में की गई हो।

जम्मू एवं कश्मीर की अर्थव्यवस्था अभी तक कृषि और पर्यटन पर ही आधारित रही है। आतंकवाद के चलते राज्य में औद्योगिक विकास के बारे में तो कल्पना करना ही सम्भव नहीं था। परंतु अब विभिन्न कंपनियां पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज, रसद, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल, चिकित्सा, पर्यटन और शिक्षा आदि क्षेत्र में भी अपनी रुचि दिखा रही हैं और निवेश कर रही हैं।

यह सच है कि जम्मू एवं कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद से स्थानीय नागरिकों में उत्साह के माहौल ने अपनी जगह बना ली है, जो कि पहिले आतंकवाद के माहौल में रहने को मजबूर थे। इस क्षेत्र में नित नए उद्योग आरंभ हो रहे हैं। यह प्रदेश के बदलते आर्थिक, वित्तीय व कारोबारी स्थिति का ही प्रमाण है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कुल 38,000 करोड़ रुपए लागत की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास किया है। जम्मू एवं कश्मीर राज्य के लिए अगले कुछ वर्षों में कुल 75,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, जम्मू एवं कश्मीर में जी-20 समूह की बैठक का आयोजन, भारत की अध्यक्षता में, किया जा रहा है। इस बैठक में विकसित देशों सहित विभिन्न देशों के उच्चस्तरीय नेता एवं अधिकारी भाग लेंगे। वस्तुतः जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार पूर्व की सभी सरकारों से अलग दृष्टिकोण से काम कर रही है। आर्थिक गतिविधियों द्वारा प्रदेश का माहौल बदलना इनमें प्रमुख है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में जम्मू एवं कश्मीर भी देश के अन्य राज्यों के समानांतर आर्थिक विकास की पटरी पर दौड़ता दिखाई देगा।

By Prahlad Sabnani

लेखक परिचय :- श्री प्रह्लाद सबनानी, उप-महाप्रबंधक के पद पर रहते हुए भारतीय स्टेट बैंक, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई से सेवा निवृत हुए है। आपने बैंक में उप-महाप्रबंधक (आस्ति देयता प्रबंधन), क्षेत्रीय प्रबंधक (दो विभिन्न स्थानों पर) पदों पर रहते हुए ग्रामीण, अर्ध-शहरी एवं शहरी शाखाओं का नियंत्रण किया। आपने शाखा प्रबंधक (सहायक महाप्रबंधक) के पद पर रहते हुए, नई दिल्ली स्थिति महानगरीय शाखा का सफलता पूर्वक संचालन किया। आप बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे। आपने बैंक में विभिन पदों पर रहते हुए 40 वर्षों का बैंकिंग अनुभव प्राप्त किया। आपने बैंकिंग एवं वित्तीय पत्रिकाओं के लिए विभिन्न विषयों पर लेख लिखे हैं एवं विभिन्न बैंकिंग सम्मेलनों (BANCON) में शोधपत्र भी प्रस्तुत किए हैं। श्री सबनानी ने व्यवसाय प्रशासन में स्नात्तकोतर (MBA) की डिग्री, बैंकिंग एवं वित्त में विशेषज्ञता के साथ, IGNOU, नई दिल्ली से एवं MA (अर्थशास्त्र) की डिग्री, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से प्राप्त की। आपने CAIIB, बैंक प्रबंधन में डिप्लोमा (DBM), मानव संसाधन प्रबंधन में डिप्लोमा (DHRM) एवं वित्तीय सेवाओं में डिप्लोमा (DFS) भारतीय बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान (IIBF), मुंबई से प्राप्त किया। आपको भारतीय बैंक संघ (IBA), मुंबई द्वारा प्रतिष्ठित “C.H.Bhabha Banking Research Scholarship” प्रदान की गई थी, जिसके अंतर्गत आपने “शाखा लाभप्रदता - इसके सही आँकलन की पद्धति” विषय पर शोध कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न किया। आप तीन पुस्तकों के लेखक भी रहे हैं - (i) विश्व व्यापार संगठन: भारतीय बैंकिंग एवं उद्योग पर प्रभाव (ii) बैंकिंग टुडे एवं (iii) बैंकिंग अप्डेट Note:- किसी भी तरह के विवाद उत्प्पन होने की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी चैनल या संस्थान या फिर news website की नही होगी लेखक इसके लिए स्वयम जिम्मेदार होगा, संसथान में काम या सहयोग देने वाले लोगो पर ही मुकदमा दायर किया जा सकता है. कोर्ट के आदेश के बाद ही लेखक की सुचना मुहैया करवाई जाएगी धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed