श्री भग्वानुवाचः 31 वा श्लोक अध्याय 2 का 39 वा श्लोक
हे पार्थ ये बुद्धि तेरे लिए ज्ञान योग के विषय मे कहीं गई है , और अब तू इसको कर्मयोग के विषय में सुन
दोस्तों अब कृष्ण कर्मयोग के बारे में बता रहें हैं जिससे कर्मो के बंधन को तोड़ा जा सके, नष्ट किया जा सके ज्ञान सोचने और समझने की बात है और कर्म व्यवहारिक यानी प्रैक्टिकल सच्चाई दोनों तरीके हैं , अपने गंतव्य , मंजिल या डेस्टिनेशन पर पहुचने के
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