प्रोनोग्राफी कंटेंट का बुरा असर ,
सुरक्षित इंटरनेट के लिए जागरूक करने की जरूरत
केरल हाई कोर्ट ने नाबालिगों में गर्भवति के बढ़ते मामलों पर चिंता ज़ाहिर की है और यह माना है कि चाइल्ड प्रेग्ननेंसी के कुछ मामलों में करीबी रिश्तेदार शामिल होते हैं.
कोर्ट ने एक 30 हफ्ते की प्रेग्नेंट नाबालिग लड़की को अबॉर्शन की इजज़त देते हुए यह टिप्पणी की है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि बच्चों को आसानी से पोर्नोग्राफी कंटेंट के मिल जाने से हालात बिगड़ रहे हैं. इसका बच्चों की मांसिकता पर बुरा असर पड़ रहा है. चाइल्ड प्रेग्नेंसी के बढ़ते मामलों पर कोर्ट ने आगे टिप्पणी की कि इसपर बात करना ज़रूरी है और स्कूलों में बच्चों को इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल पर जागरुक करने की ज़रूरत है.
केरल हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि ऑनलाइन माध्यम से अश्लील कंटेंट की वजह से युवाओं की मांसिकता खराब हो रही है. कोर्ट ने कहा कि उन्हें इंटरनेट के सही इस्तेमाल के बारे में बताना ज़रूरी है. कोर्ट ने टिप्पणी की कि समय आ गया है कि हमारे स्कूलों में दी जा रही यौन शिक्षा पर दोबारा विचार किया जाए. कथित रूप से नाबालिग लड़की को उसके नाबालिग भाई ने गर्भवति कर दिया था. इस मामले पर कोर्ट में सुनवाई कर रही जस्टिस अरुण की बेंच ने नाबालिग को गर्भपात की इजाज़त दी.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हालांकि नाबालिग 30 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में अविवाहित महिलाओं को 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी को ख़त्म करने का फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट के एक फैसले पर रोक लगाते हुए अविवाहित महिला को इसकी इजाज़त दी थी. कोर्ट ने टिप्पणी की कि महिला विवाहित नहीं है, सिर्फ इसलिए उसे अबॉर्शन से नहीं रोका जा सकता.
कोर्ट ने नाबालिग के परिवार के रूप में याचिकाकर्ता को उसके गर्भपात के लिए सरकार अस्पताल जाने की इजाज़त दी और परिवार को सभी ज़रूरी अंडरटेकिंग और उनके खुद के जोखिम पर सर्जरी की इजाज़त दी गई. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर बच्चा जीवित रूप से जन्म लेता है तो अस्पताल को इसके लिए सभी महत्वपूर्ण इलाज की व्यवस्था करनी होगी, ताकि बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य मिल सके.