जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 15 अप्रैल ;:

भारत के संविधान रचयिता बाबा साहेब डॉ भीम राव अंबेडकर की जयंती ह्यूमन राइट्स डिफेंडर ने अपने मुख्य कार्यालय ए/2, सेक्टर डी कंकड़बाग कॉलोनी में रविवार को मनाया। उक्त जानकारी संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रश्मि सिन्हा ने दी।

उन्होंने बताया कि बाबा साहेब की जयंती के अवसर पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करने वालों में ह्यूमन राइट्स डिफेंडर के संस्थापिका सह राष्ट्रीय महासचिव पूजा सिन्हा, उप संस्थापिका सह राष्ट्रीय महासचिव (एस सी/एस टी) आशा देवी, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार सिन्हा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रश्मि सिन्हा, राष्ट्रीय सहायक सचिव किरण, राष्ट्रीय निगरानी सरिता देवी, राष्ट्रीय सांस्कृतिक सचिव श्वेता बॉबी, राष्ट्रीय मीडिया अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार सिन्हा, बिहार प्रदेश अध्यक्ष सूरज कुमार, बिहार राज्य सचिव किशन राज, सक्रिय सदस्य आशुतोष कुमार, पूर्णिमा बसाक, गौरी शंकर प्रसाद सहित अन्य सदस्यगण शामिल थे।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रश्मि सिन्हा ने बताया कि उक्त अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार सिन्हा कहा कि हम लोगों को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि अपने जीवन में जिस चीज के लिए संकल्पित हो वह पूर्ण करने का कोशिश करना चाहिए।संकल्प में कोई विकल्प नहीं होता है। डॉ अंबेडकर के जीवन में भी बहुत कठिनाइयों आई थी, परिस्थितियां भी प्रतिकूल थी, लेकिन उन्होने सभी कठिनाइयो, परिस्थितियों और बाधाओं को काटकर अपने अनुकूल बनाया। इसी तरह हम सभी लोग एक साथ मिलकर ह्यूमन राइट्स डिफेंडर फैमिली की संकल्पों को पूर्ण करने के लिए संकल्पित हो।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बताया कि कार्यक्रम में संस्थापिका सह राष्ट्रीय महासचिव पूजा सिन्हा ने कहा कि बुद्ध, कबीर, नानक, तुलसी, राजा राम मोहन राय, महर्षि दयानन्द और महात्मा गाँधी सभी सामाजिक चेतना और समभाव के पुरोधा थे। इसी की एक कड़ी थे डॉ0 भीम राव अम्बेदकर। उक्त अवसर पर उप संस्थापिका सह राष्ट्रीय महासचिव (एस सी/एस टी) आशा देवी ने कहा कि डॉ० अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश की महु छावनी में हुआ था। उनके पिता उस समय भारतीय सेना में कार्यरत थे। वे अपने बच्चों विशेषकर भीम राव को विद्यार्जन के लिये निरन्तर प्रेरित करते रहते थे।

संस्था की राष्ट्रीय सहायक सचिव किरण ने कहा कि डॉ० अम्बेडकर का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, पर उन्होंने सिद्ध कर दिया था कि प्रतिभा और उच्च मनोबल से जीवन की हर बाधा पार की जा सकती है। राष्ट्रीय निगरानी सरिता देवी ने कहा कि उनके जीवन की सबसे बड़ी बाधा थी हिन्दू समाज की जाति व्यवस्था, जिसके तहत जिस परिवार में वे जन्मे, उसे ‘‘अस्पृश्य’’ माना जाता था। राष्ट्रीय सांस्कृतिक सचिव श्वेता बॉबी ने कहा कि 1908 में युवक भीम राव ने बम्बई विश्वविद्यालय से हाई स्कूल की परीक्षा पास की थी, जो एक अस्पृश्य बालक के लिए यह एक अद्भूत एवं विरले उपलब्धि थी।
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